ऑनलाइन शॉपिंग: स्वस्थ लाइफस्टाइलजन जागरणस्वस्थ आयुर्वेद एवं नेचुरोकेयरस्वस्थ खानपान
Trending

कहीं आपका नमक नॉन-वेज तो नहीं?

क्या आपका नमक शाकाहारी है?

क्या नमक भी शाकाहारी या मांसाहारी होता है?

कहीं नॉन-वेज नमक के कारण ही तो लोग नमकहराम नहीं हो रहे?

सम्भवतया आप जो खा रहे हैं, वह किससे बना है? समुद्र के पानी से ! समुद्र का पानी वेज है कि नान-वेज? जिस समुद्र में मछलियां जिंदा-मुर्दा रहती हो, असंख्य जीव जंतु रहते हों, एक दूसरे को खाते हैं, उसी में हंगते हो, लड़ते-कटे हो, मरते हो, वह पानी शाकाहारी कैसे हो सकता है?

जिस समुद्र में मरे हुए जानवरों को बहाया जाता हो, मनुष्य डूबकर मरते हों, मृतक शरीरों को जल प्रवाहित किया जाता हो, जल समाधि ली जाती हो, समुद्री जहाजों, जलवाहनों का डीजल पेट्रोल जिसमें समाहित होता हो, वह जल शुद्ध या शाकाहारी कैसे हो सकता है?

इन सबसे अधिक, जिस समुद्र में लोग नहाते धोते लघुशंका दीर्घ शंका करते हो, पूरे नगर शहर का गटर जिसमें बहाया जाता हो, वह समुद्री जल तो नॉन-वेज से भी ज्यादा गया-गुजरा है ना!!!

वस्तुतः इस समुद्री जल से बना नमक नॉन-वेज ही नहीं, बल्कि नारकीय और विषैला पदार्थ है जिसके खाने से सैकड़ों बीमारियां उत्पन्न होती है। 

जो खारापन आपको समुद्री नमक में मिलता है, वह कोई सोडियम क्लोराइड का नहीं, मल मूत्र, रक्त, मांस और गटर का है जिसे आप बड़ें चाव से अपने शरीर मे गटककर आनंदित होते हो, इसीलिए तो राक्षसी और म्लेच्छ का सा व्यवहार करते हो संसार मे !!! क्योंकि जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन ; जैसा पिओगे पानी, वैसी होवेगी वाणी ; जैसा खाओगे नमक, वैसी जीवन की चमक – इसलिए अनेकानेक नए नए रोग पैदा हो रहे हैं और दवाइयों की कम्पनियां और अस्पताल मालामाल हो रहे हैं और आप लोग तन से, मन से और धन से कंगाल हो रहे हो… अब अक्ल से भी कंगाल हो गए हो जिससे यह इतनी सीधी सरल सी बात आज तक समझ नहीं आयी कि समुद्री नमक के रूप में क्या खा रहे हो

अरे! बाप दादा नाना नानी से ही पूछ लेते कि हमारे पूर्वज क्या खाते थे – समुद्री नमक या कुछ और ? वे भी बता सकते थे कि 1930 से पहले हमारे पूर्वज सेंधा नमक खाते थे, रॉक साल्ट खाते थे !!

इसीलिए पहले के लोगों को इतनी बीमारियां नहीं होती थी, तंदुरुस्त रहते थे, इतने हट्टे कट्टे होते थे कि एक एक भारतीय 10-10 विलायतियों (अंग्रेजों और यवनियों) को पटक पटक मार सकता था। कहाँ गयी उनकी ताकत?

भारत के गौरवशाली इतिहास को पढ़िए जिसमें लिखा गया है कि हमारे राजाओं की तलवारों, भालों और कवच का वजन सौ सौ किलों होता था । सोचिये जिनमें ऐसे भारी भरकम हथियारों से लड़ने की क्षमता थी उनकी शारीरिक शक्ति कितनी होगी? कहाँ लुप्त हो गयी भारतीयों की वो शक्ति?

आजकल के भारतीयों में भगत सिंह, वीर सावरकर, चंद्रशेखर आज़ाद, रामप्रसाद बिस्मिल जैसी बहादुरी क्यों नहीं नज़र आती??

मेरा स्पष्ट कहना है कि अंग्रेजों ने षड्यंत्र किया जिसके तहत गांधी नामक छद्म महात्मा ने दांडी मार्च करके सारे हिंदुस्तानियों के स्वास्थ्य को दांडी मार दी, सभी हिंदुओं को अशुध्द और नॉन वेज खिलाकर न केवल मांसाहारी-शवाहारी बना दिया बल्कि इतना बुद्धिहीन कर दिया कि 1947 की तथाकथित आज़ादी के नाम पर उनका ये षड्यंत्र भी न समझ सके कि अंग्रेजों ने अखंड भारत के अनेकानेक टुकड़े करने के बाद शेष भारत के तीन टुकड़े कर मुगल खानदान के ही तीन भाइयों – नेहरू, जिन्ना और अब्दुल्ला (तीनों एक ही बाप की औलादें है कि नहीं) में बांट दिया और भारत को औपनिवेशिक देश (कॉमनवेल्थ राष्ट्र) बनाकर रखा जिसकी रॉयल्टी प्रतिवर्ष ब्रिटेन की महारानी को जाती है…

सबकी अक्ल जानवरों का घास चरने चली गयी और तथाकथित आज़ादी के बाद भी अंग्रेजों की 1985 में बनाई हुई कांग्रेस पार्टी की 62 सालों तक गुलामी करते रहे और आज भी करोड़ों अक्ल के कोल्हू उसकी हिमायती और चमचागिरी करके अपने को धन्य समझते है… लोकतंत्र भाईचारा की दुहाई देकर उन्हें कई राज्यों में सत्ता सौंपते हैं …. गद्दार कहीं के !!!

यद्यपि विषयांतर हो गया किंतु समुद्री नमक के प्रभाव को जानने के लिए इसका उल्लेख भी आवश्यक था। अब जब आपने यह जान लिया कि

  • सेंधा नमक के साथ इन अंग्रेजो ने कैसे किया था खिलवाड़ ” पहले समुद्र के किनारे वाले स्थानों पर ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सेंधव नमक के स्थान पर समुद्री नमक बेचना शुरू किया, बाद में उस पर टैक्स लगाकर महंगा किया। फिर उसे प्रचारित करने के लिए नेगेटिव पब्लिसिटी का सहारा लिया और तब तक भारत में महात्मा का चोला पहनकर भारतीयों के दिलों में सिक्का जमा चुके अपने जासूस सार्जेंट एम के गांधी को उस टैक्स को हटाने के लिये आंदोलन करने का नाटक कराया और डांडी मार्च का ढिंढोरा पीटा। साबरमती पहुंचने पर टैक्स समाप्त करने की घोषणा कर अंग्रेजों को गांधी को भारतीयों की वाहवाही दिलाई और पूरे भारत मे समुद्री नमक टैक्स फ्री करके प्रचारित हो गया और गाँधी बाबा की जय जयकार करते हुए भारतीय लोग बड़े चाव भाव से समुद्री नमक खाने लगे और गांधी बाबा उनके लिए भगवान जैसे हो गए।
  • यहाँ तक कि इसी समुद्री नमक के प्रभाव में अनेक देशभक्त हिन्दू जो कांग्रेस से जुड़कर गाँधी के सम्मोहन में गाँधी नेहरू के छोटे बड़े षड्यंत्रों को नहीं समझ सके, (जैसे कि सुभाष चन्द्र बोस के कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव जीतने के बावजूद उन्हें हटाकर गाँधी के अनुयायी सीताराम पट्टाभिया को अध्यक्ष बनाना; और 1947 में प्रधानमंत्री पद के लिए सरदार पटेल को 15 में से 14 वोट मिलने के बावजूद गाँधी के कहने पर उनके प्रिय चमचे नेहरू को प्रधानमंत्री बना देना, इसे न कांग्रेसी समझ पाए , न भारत की जनता),
  • गांधी की लाश पर बनने वाला पाकिस्तान आज भी भारत की संप्रभुता, एकता और शांति के लिए खतरा बना हुआ है। यह भी इस समुद्री नमक से पली पोषित बुद्धिहीन हिंदुओं की मूर्खता के कारण ही है अन्यथा 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद ही भारत की अनवरत समृद्धि और पाकिस्तान की कंगाली होती चली जा रही हैं और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन सका है क्योंकि अब भारत सरकार को चलाने वाले अधिकांश लोग समुद्री नमक नहीं, सेंधा नमक खाने वाले लोग हैं।

तो आया समझ में कि समुद्री नमक का हमारे  तनमन जीवन और राष्ट्र तक पर कैसा असर हुआ है और सेंधा नमक भारत से कैसे गायब कर दिया गया… ??

अब आप सोच रहे होंगे कि यदि सेंधा नमक का इतना असर होता है तो ये सेंधा नमक बनता कैसे है ??

आइये अब हम आपको बताते है कि सेंधा नमक क्या होता है  –  अब तक आप जान ही चुके है कि नमक मुख्यतः दो प्रकार का होता है – एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक जिसे रॉक साल्ट “rock salt” भी कहते हैं क्योंकि यह पानी नहीं बल्कि रॉक अर्थात चट्टानों से बनता है। वस्तुतः सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक इत्यादि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु घाटी के इलाक़े से आया हुआ’. धरती पर यही एक ऐसा स्थान हैं जहाँ प्राकृतिक रूप से नमक पाया जाता है।

ध्यातव्य है कि समुद्री नमक इंसान बनाता है जबकि सेंधा नमक भगवान का बनाया हुआ है। तो आप कौनसा नमक खाना चाहेंगे? भगवान का बनाया हुआ सेंधा नमक ही ना!

सिंध प्रान्त में नमक के बड़े बड़े पहाड़ है, घाटियां है जिनमें सुरंगे है। वहाँ से ये नमक आता है। चूंकि ये सिंध की पहाड़ियां हिमालयन पर्वतमाला की श्रृंखला का ही भाग है, इसलिए आजकल लोग इसे हिमालयन साल्ट भी कहते हैं। सेंधा नमक मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है ।

सौभाग्य से इन नमक की खानों पर आज भी भारतीय हिंदुओं सिंधियों व पंजाबियों का वर्चस्व है जिनके आधे परिवार पाकिस्तान और आधे भारत के पंजाब मुख्यतः अमृतसर में रहते हैं जिन्होंने भारत से अलग पाकिस्तान बनने के बाद भी सेंधा नमक वितरित करने का कारोबार जारी रखा है। परन्तु अब इन पर धीरे धीरे पाकिस्तानी मुसलमान कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।

सेंधा नमक ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे सहायक, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप इस जहरीले समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक, सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भगवान का वरदान है।

अब जब आप ये जान चुके हैं कि भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था, विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है। अब आप इस षड्यंत्र का दूसरा भाग जानिए कि ये आयोडीन का चक्कर क्या है? हुआ ये कि जब से ग्लोबलाईजेशन के बाद बहुत सी विदेशी कंपनियों ने अन्नपूर्णा, कैप्टन कुक जैसे अन्य ब्रांडेड नमक बेचना शुरू किया तब से ये सारा खेल शुरू हुआ है। अब समझिए खेल क्या था ??

खेल ये था कि विदेशी कंपनियो को नमक बेचना है और बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश में प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने में 2 से 3 रूपये किलो में बिकता था.उसकी जगह आयोडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 8 रूपये प्रति किलो और आज तो 25-30 रूपये को भी पार कर गया है। दुनिया के 60 देशों ने अतिरिक्त आयोडीन युक्त नमक को 40 साल पहले बैन कर दिया था। यह आयोडीन युक्त नमक अमरीका में नहीं खाया जाता है जर्मनी मे नहीं खाते है, फ्रांस में बैन है,  डेन्मार्क की सरकार ने 1956 में ही आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया था, क्यों??

उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक खिलाया !(1940 से 1956 तक ) अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिकों ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया।

भारत में कैसे ये खेल शुरू हुआ? शुरू के दिनों में हमारे देश में ये आयोडीन का षड्यंत्र तब शुरू हुआ जब इस देश के बेशर्म ढोंग्रेसी नेताओं ने विदेशी कम्पनियों से रिश्वत खाकर कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत में बिक नहीं सकता.

कुछ समय पूर्व किसी ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।

भारत में आज से सौ वर्ष पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था सब सेंधा नमक ही खाते थे. जब से सेंधा नमक छोड़ समुद्री नमक और आयोडीन युक्त नमक खाना शुरू किया है जब से भारत मे डायबिटीज, थाइरोइड, हार्ट अटैक, बीपी, यूरिक एसिड, जोड़ों का दर्द, अनेक प्रकार के कैंसर इत्यादि बीमारियां बढ़ती चली जा रही है और दवाई कम्पनियां मोटा माल कमा रही हैं।

इन सबसे अधिक खतरनाक बात यह है कि भारतीयों की प्रजनन क्षमता घटती जा रही है। पहले हर घर में 5-7 बच्चे होते थे, अब 1-2-3 से हटकर निल बट्टा सन्नाटा हो रहे हैं। सोचिए ! अंग्रेज चले जाने के बाद भी उनकी लगाई आग में कैसे ढोंग्रेस केरोसिन छिड़कती गयी और हम भारतीयों की जीवन शैली खानपान भ्रष्ट करके हमें न केवल रोग ग्रस्त और बाजारू उत्पाद बना दिया बल्कि आज हमारे राष्ट्र, समाज और हिंदुओं का अस्तित्व भी खतरे में डाल दिया। हमारी सोच से भी अधिक खतरनाक है ये ढोंग्रेस और समुद्री नमक का सेवन !!! इसीलिए हमारे देश में नमकहराम बढ़ते जा रहे हैं

सेंधा नमक के फ़ायदे:- सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय है (alkaline) क्षारीय चीज जब अमल मे मिलती है तो वो न्यूटल हो जाता है और रक्त अमलता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं.

ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है और सेंधा नमक की शुद्धता के कारण आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते है। तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ?? ऊपर से यह भी सोचिए कि यदि हमारे अवचेतन मन को पता गया कि उपवास में शुद्ध शाकाहारी नमक ही खाना है और यदि सेंधा नमक ही शुद्ध नमक है तो फिर इसे उपवास तक ही खाने के लिए सीमित क्योंकर रखा, नित्य शुद्ध नमक क्यों नहीं खाते?

सेंधा नमक शरीर में 96 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis) का अटैक आने का सबसे बडा जोखिम होता है। सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में कहा गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को बैलेंस करता है जिससे हम त्रिदोष के कारण होने वाले रोगों से बचे रह सकते हैं जिनकी संख्या 160 से अधिक है। सोचिये कितनी बीमारियों से आपकी बचा सकता है सेंधा नमक का प्रयोग।

इसमें प्राकृतिक रूप से आयोडीन की उतनी ही मात्रा होती है जितनी मनुष्य शरीर को आवश्यकता होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन का सेवन ही भारतीय महिलाओं में हो रही थाइरोइड की बीमारी का मूल कारण है जिससे उनको मोटापा, बांझपन, झड़ते बाल और नसों की ब्लॉकेज के रोग कमर दर्द, वेरिकॉन वेन्स और पीरियड्स की समस्या होती है। सोचिये कैसे आयोडीन युक्त नमक के नाम पर समुद्री नमक का प्रचार प्रसार करके अंग्रेजो के बाद इस नासपीटी ढोंग्रेस ने भारतीय नारियों को नारकीय जीवन जीने पर मजबूर कर दिया।

सेंधा नमक पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भास्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी इसी का प्रयोग किया जाता है.

समुद्री नमक के भयंकर नुकसान :- ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप में ही बहुत खतरनाक है! क्योंकि कंपनियाँ इसमें अतिरिक्त आयोडीन डाल रही है। अब आयोडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से सेंधा नमक में होता है.

दूसरा होता है “industrial iodine” जो कि बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमे कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डाल कर पूरे देश को बेच रही है। जिससे बहुत सी गंभीर बीमरियां हम लोगों को आ रही है. ये नमक और आयोडीन दोनों ही मानव द्वारा निर्मित फ़ैक्टरियों में बनता है.

आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियां होती है । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ्ने से ये सब 48 रोग आते है । ये नमक पानी कभी पूरी तरह नहीं घुलता हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंततः किसी भी प्रकार किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है।

आजकल हिमालयन साल्ट और पिंक साल्ट के नाम पर मिलावटी नमक मिलता है जिनमें 80% समुद्री नमक और 20% रॉक साल्ट होता है और पिंक बनाने के चक्कर में कलर डालकर केमिकल युक्त बनाकर ऑनलाइन और बड़ी बड़ी मॉल में धड़ल्ले से बेचकर सेंधा नमक की लहर का फायदा उठाया जा रहा है। ऐसे नमक को खाकर लोगों में गाल ब्लैडर और किडनी में स्टोन की समस्याएं बढ़ रही है और आपरेशन के नाम पर अस्पतालों की चांदी हो रही है।

पैसे के भूखे भेड़िए लोगों के स्वास्थ्य से कैसे खिलवाड़ करते हैं, यह मैकाले ब्रांड कान्वेंट शिक्षा पद्धति का ही असर है कि भारत के लोग इतने लालची, स्वार्थी और ईर्ष्यालु बन गए हैं। जैसा खाएंगे अन्न वैसे होंगे तनमन…

रिफाइण्ड नमक में 98% केमिकल – सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नही है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लाक्स बनने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गठिया, प्रोस्टेट आदि होती है.

आयोडीन नमक से पानी की जरुरत ज्यादा होती है, एक ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है, इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है. इसलिए धीरे धीरे यह प्रचारित किया गया कि एक दिन में कम से कम आठ गिलास पानी पीजिए और इस तरह पानी भी बिकने लगा और नया व्यापार शुरू हो गया। जबकि आयुर्वेद कहता है कि हर शरीर की प्रकृति अलग अलग होती है, उन्हें पानी की आवश्यकता भी उनकी प्रकृति के साथ साथ अन्य कारकों पर निर्भर करती है, तो फिर सभी को एक समान 8 गिलास पानी की आवश्यकता क्योंकर होने लगी ?

अतः आप इस अतिरिक्त आयोडीन युक्त समुद्री नमक को खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक में होता है। इसके इलावा आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है.

सबसे अहम बात – आजकल अधिकांश बीमारियां नॉन-वेज अर्थात शवाहार से होती है। कोरोना काल में मरने वाले अधिकांश लोग वो थे जो नॉन-वेज खाते थे। भारत से अधिक मौतें विदेशों में हुई जहाँ के लोग शवाहारी हैं। एक और साधारण सी बात समझने की है – क्या अस्पतालों में मरीजों को स्वस्थ करने के लिए भोजन मांसाहारी / शवाहारी दिया जाता है? नॉन- वेज खाने वाले डॉक्टर और अस्पताल भी आपको स्वस्थ करने के लिए शाकाहार भोजन देते हैं तो घर में रहते हुए आप शवाहार के चक्कर में खुद और परिवार के स्वास्थ्य को क्यों चौपट कर रहे हैं? कहीं न कहीं समुद्री नमक व अन्य शवाहारी भोजन को खिलाकर आप अपनी आत्महत्या और परिवारजन की हत्या ही तो कर रहे हैं। सोचिये !

स्वस्थ खाएंगे तभी तो स्वस्थ रहेंगे और स्वस्थ रहेंगे तभी तो आप अपनी कमाई और सुख सुविधा का आनंद के सकेंगे अन्यथा ये सब माल खजाना धन दौलत घर मकान जमीन जायदाद सब यही धरा रह जायेगा और आप इन सबके बावजूद अपने शरीर को बीमारियों का घर और अस्पतालों के मेहमान बनाकर रोते रोते अपनी जीवनलीला समाप्त कर अपने प्रियजनों को रोने बिलखने के लिए दुनिया से कूच कर जायेंगे। फिर सेंधा नमक कहाँ से खाएंगे ? नरक में? वहाँ तो मलमूत्र युक्त नमक ही मिलेगा।

निरोगी और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आपका खानपान कैसा हो – इसके लिए ऋषिश्री डॉ वरदानंद जी महाराज द्वारा अनुभूत फाइव फ़ूड फॉर्मूला (FFF) अपनाइए, स्वस्थ और सुखी जीवन बिताइए और मुक्त जीवन की महक पाइए।

सौजन्य से : स्वस्थ आयुर्वेद एवं नेचुरोकेयर, नवी मुम्बई – सम्पर्क सूत्र – 7303 7303 11 / 22 / 55

#भारत #trendingpost #जीके #हिंदीजानकारी #हेल्थटिप्स #हेल्थकेयर #स्वस्थआयुर्वेद #स्वस्थईकोमार्ट #रॉकसाल्ट #FFF #SwasthLifeStyle #Hopedhara #ProfHopeChampion #HopeBharatiya

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button