गणेशोत्सव 2025 : परम्परा, भक्ति और एकता का महापर्व

गणेशोत्सव 2025 : परम्परा, भक्ति और एकता का महापर्व : होप इंडिया की अनूठी पहल का 21वा वर्ष
लेख – होपधारा विशेषांक हेतु
1. प्रस्तावना
भारत का हर त्यौहार केवल पूजा-अर्चना का अवसर नहीं बल्कि समाज को जोड़ने, संस्कृति को जीवित रखने और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी होता है। इन्हीं में सबसे लोकप्रिय और विराट रूप में मनाया जाने वाला पर्व है गणेशोत्सव, जिसे महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि आज पूरा भारत और विश्व का प्रवासी समाज भी अद्वितीय भक्ति और उल्लास के साथ मनाता है।
2. ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
गणेश जी की पूजा प्राचीन काल से चली आ रही है। गणपति अथर्वशीर्ष, पुराणों और विविध ग्रंथों में गणपति को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता बताया गया है। किंतु इस पर्व को सार्वजनिक रूप देने का श्रेय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है। 1893 में उन्होंने अंग्रेज़ों के शासनकाल में समाज को एकत्र करने और स्वराज्य का संदेश फैलाने के लिए गणेशोत्सव को जनसामान्य का उत्सव बना दिया। यही परंपरा आज करोड़ों श्रद्धालुओं को एक सूत्र में बाँध रही है।
3. गणेशोत्सव 2025 की तिथियाँ और मुहूर्त
इस वर्ष गणेशोत्सव का शुभारंभ 27 अगस्त 2025 (बुधवार, भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी) को होगा।
- स्थापना मुहूर्त : प्रातः 11:15 से दोपहर 1:30 बजे तक
- विसर्जन विकल्प :
- डेढ़ दिन के गणपति – 28 अगस्त 2025 (गुरुवार)
- पाँच दिन के गणपति – 1 सितम्बर 2025 (सोमवार)
- गौरी विसर्जन – 4 सितम्बर 2025 (गुरुवार), स्थानीय परंपरा अनुसार
- मुख्य अनंत चतुर्दशी विसर्जन – 6 सितम्बर 2025 (शनिवार)
- समापन का श्रेष्ठ मुहूर्त : प्रातः 7:00 से 10:00 बजे तक
4. प्रमुख मंडल और थीम
महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मंडलों में –
- मुंबई का लालबागचा राजा
- पुणे का दगडुशेठ हलवाई गणपति
- नागपुर का टेकड़ी गणपति
- पनवेल और ठाणे के विशाल मंडल
हर वर्ष मंडलों की सजावट और प्रतिमा अलग-अलग थीम पर आधारित होती है।
इस बार विशेष आकर्षण है – “ऑपरेशन सिंदूर” थीम, जिसे मुंबई, दिल्ली और हैदराबाद समेत कई बड़े पंडालों ने अपनाया है। इसमें भारतीय सेनाओं की वीरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और देशभक्ति के प्रतीक प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
5. महाराष्ट्र से भारत और विदेश तक
गणेशोत्सव अब केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रहा।
- भारत में यह पर्व गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है।
- विदेशों में अमेरिका, कनाडा, मॉरिशस, सिंगापुर, मलेशिया, ब्रिटेन, घाना और स्पेन तक गणेशोत्सव पहुँच चुका है। प्रवासी भारतीय और स्थानीय हिंदू समुदाय बड़े उत्साह से पंडाल बनाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
6. होप इंडिया फाउंडेशन की अनूठी परंपरा
गणेशोत्सव को सार्थक दिशा देने का एक विशिष्ट उदाहरण है होप इंडिया फाउंडेशन।
- 2005 से होप हाउस में स्थायी रूप से विराजमान ब्रास के गणपति जी की 10 दिन की विशेष पूजा होती है।
- अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति का पारंपरिक विसर्जन नहीं किया जाता, बल्कि बड़े टब में स्नान कराकर पुनः पूजा स्थान पर स्थापित कर दिया जाता है। यह पद्धति निरंतरता, पर्यावरण-संरक्षण और परंपरा के सम्मान का अद्भुत संदेश देती है।
- इस अवसर पर प्रतिवर्ष हजारों ‘मनोकामना पूर्ति’ लड्डू प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं और विशेष रूप से पुलिस व प्रशासन को वितरित किए जाते हैं। इस वर्ष यह 21वां वर्ष है।
होप इंडिया का मानना है –
“भले ही वर्ष के अधिकांश दिनों में पुलिस व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न उठते हों, किंतु गणेशोत्सव के 10 दिनों में पुलिस और प्रशासन पूरी निष्ठा, श्रद्धा और पारदर्शिता से कार्य करता है। इसी कारण भीड़भाड़ वाले इस उत्सव में कभी कोई गंभीर अप्रिय घटना नहीं घटी, जबकि 2004–2014 के बीच देश में लगातार आतंकी हमले होते रहे।”
इस सकारात्मक पहल की सराहना स्वरूप होप इंडिया फाउंडेशन और अमृतवाणी सत्संग सेवा ट्रस्ट पुलिसकर्मियों व भक्तों को यह विशेष प्रसाद वितरित करके उनका अभिनंदन करते हैं।
7. सामाजिक और सांस्कृतिक महत्ता
गणेशोत्सव में थीम आधारित पंडालों के माध्यम से समाज Phle अनेक संदेश दिए जाते हैं –
- पर्यावरण संरक्षण
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
- स्वच्छ भारत अभियान
- जल बचाओ – जीवन बचाओ
- ऐतिहासिक और पौराणिक झांकियाँ
सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, कीर्तन, नाट्य प्रस्तुति आदि समाज को जागरूक और मनोरंजित करते हैं।
8. एक चिंतनीय प्रवृत्ति
जहाँ एक ओर यह पर्व भक्ति और एकता का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर बढ़ती डीजे संस्कृति, फूहड़ नृत्य और अश्लीलता त्यौहार की पवित्रता को कलंकित कर रही है। धार्मिकता और संयम की जगह उच्छृंखलता और भोगवाद प्रवेश पा रहा है। इससे न केवल पर्व का उद्देश्य विकृत होता है, बल्कि युवा पीढ़ी भी त्यौहार की असली महत्ता से विमुख होती है।
आशा है कि आने वाले नवरात्रोत्सव और दीपावली अधिक संयम और श्रद्धा के साथ मनाए जाएँगे तथा रामलीला जैसे सांस्कृतिक मंचनों को और बढ़ावा मिलेगा।
9. आज की प्रासंगिकता – समाज कोNMगो जोड़ने का सूत्र
लोकमान्य तिलक का उद्देश्य था समाज को एकता के सूत्र में बाँधना। आज भी जब विभाजन और तनाव की राजनीति बढ़ रही है, तब गणेशोत्सव हमें एकता, सहअस्तिजकजत्व और सांस्कृतिक गौरव का स्मरण कराता है।म.56ईस्ट
- यह पर्व परिवारों को जोड़ता है – सामूहिक पूजा, मोदक निर्माण, भजन कीर्तन।
- यह पर्व समुदाय को जोड़ता है – मोहल्लों और शहरों में संगठित मंडल।
- यह पर्व राष्ट्र को जोड़ता है – Operation Sindoor जैसी थीमें राष्ट्रगौरव और सुरक्षा का संदेश देती हैं।
- और यह पर्व विश्व को जोड़ता है – विदेशों में भारतीय संस्कृति की पहचान बनकर।
10. उपसंहार
गणेशोत्सव केवल विघ्नहर्ता गणपति की उपासना ही नहीं, बल्कि समाजसेवा, एकता और संस्कृति का महापर्व है।
होप इंडिया फाउंडेशन की अनूठी पहल इसे और भी सार्थक बनाती है।
सच ही है –
“गणपति बप्पा केवल विघ्नहर्ता ही नहीं, बल्कि समाज की सद्भावना और राष्ट्रीय एकता के भी संरक्षक हैं।”
गणपति बाप्पा मोरिया