ट्रम्प और मोदी के बीच फ़ोन पर लुक्काछिपि की कहानी
कहानी बड़ी सयानी

बहुत दिनों से ट्रम्प और मोदी के बीच फोन पर बातचीत न होने और मोदी द्वारा ट्रम्प का फोन न उठाने की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। कभी पक्की दोस्ती का दम भरने वाले दोनों दोस्त आज अलग पेज पर क्यों हो गए, यह राज तो ऑपेरशन सिंदूर पर प्रकाशित होने जा रही मेरी नई बुक में खुल जायेगा। परन्तु दोनों का आपस में बात न करना रहस्य को और गहरा कर देता है।
सच क्या है?
ट्रंप के बार-बार फोन करने के बावजूद मोदी उससे बात क्यों नहीं कर रहा?
दरअसल मोदी ट्रंप की गोलियां के खत्म होने की इंतजार कर रहा है।
कि भाई तेरे पास जितनी भी गोलियां हैं तू पहले उन्हें चला ले। मैं जवाब बाद में दूंगा।
इस पर मुझे एक प्रसंग याद आ गया: यह कहानी पढ़ोगे तो सब समझ आ जायेगा।
कहानी बड़ी सयानी
एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और दिमाग से बहुत मजबूत था।
एक दिन उसे पास के गाँव के एक अमीर आदमी ने फर्नीचर बनबाने के लिए अपने घर पर बुलाया।
जब वहाँ का काम खत्म हुआ तो लौटते वक्त शाम हो गई तो उसने काम के मिले पैसों की एक पोटली बगल मे दबा ली और ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ़ लिया।
वह चुपचाप सुनसान रास्ते से घर की और रवाना हुआ। कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसे एक लुटेरे ने रोक लिया।
डाकू शरीर से तो बढ़ई से कमजोर ही था पर उसकी कमजोरी को उसकी बंदूक ने ढक रखा था।
अब बढ़ई ने उसे सामने देखा तो लुटेरा बोला, ‘जो कुछ भी तुम्हारे पास है सभी मुझे दे दो नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।’
यह सुनकर बढ़ई ने पोटली उस लुटेरे को थमा दी और बोला, ‘ ठीक है यह रुपये तुम रख लो मगर मैं घर पहुँच कर अपनी बीवी को क्या कहुंगा। वो तो यही समझेगी कि मैने पैसे जुए में उड़ा दिए होंगे।
तुम एक काम करो, अपने बंदूक की गोली से मेरी टोपी मे एक छेद कर दो ताकि मेरी बीवी को लूट का यकीन हो जाए।’
लुटेरे ने बड़ी शान से बंदूक से गोली चलाकर टोपी में छेद कर दिया। अब लुटेरा जाने लगा तो बढ़ई बोला,
‘एक काम और कर दो, जिससे बीवी को यकीन हो जाए कि लुटेरों के गैंग ने मिलकर मुझे लूटा है । वरना मेरी बीवी मुझे कायर ही समझेगी।
तुम इस कंबल मे भी चार- पाँच छेद कर दो।’ लुटेरे ने खुशी खुशी कंबल में भी कई गोलियाँ चलाकर छेद कर दिए।
इसके बाद बढ़ई ने अपना कोट भी निकाल दिया और बोला, ‘इसमें भी एक दो छेद कर दो ताकि सभी गॉंव वालों को यकीन हो जाए कि मैंने बहुत संघर्ष किया था।’
इस पर लुटेरा बोला, ‘बस कर अब। इस बंदूक में गोलियां भी खत्म हो गई हैं।’
यह सुनते ही बढ़ई आगे बढ़ा और लुटेरे को दबोच लिया और बोला, ‘मैं भी तो यही चाहता था।
तुम्हारी ताकत सिर्फ ये बंदूक थी। अब ये भी खाली है। अब तुम्हारा कोई जोर मुझ पर नहीं चल सकता है।
चुपचाप मेरी पोटली मुझे वापस दे दे वरना …..
यह सुनते ही लुटेरे की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और उसने तुरंत ही पोटली बढई को वापिस दे दी और अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा।
आज बढ़ई की ताकत तब काम आई जब उसने अपनी अक्ल का सही ढंग से इस्तेमाल किया।
मोदी सिर्फ ट्रंप की गोलियों के खत्म होने का इंतजार कर रहा है। जल्द ही ट्रंप को दबोचने का समय भी आएगा।
कहानी कैसी लगी, इस पर अपनी अक्ल लगाकर प्रतिक्रिया जरूर दें, ताकि पता लगे कि भारत का प्रधानमंत्री मोदी ही नहीं, भारतवासी भी ट्रम्प से इक्कीस हैं