ईष्ट प्रसन्न तो जीवन प्रसन्न

*ईष्ट की जानकारी और उसे शक्तिशाली बनाने की महती आवश्यकता*
इष्ट देवता वह है जिसे आप सबसे ज्यादा मानते हैं और जिसकी पूजा करते हैं। यह आपकी पसंद का देवता होता है, जो आपकी आत्मा को सबसे ज्यादा शांति और खुशी देता है। यह आपकी व्यक्तिगत पसंद है और आप अपनी रुचि और विश्वास के अनुसार किसी भी देवता को अपना इष्ट देव बना सकते हैं। किंतु यदि आप अपनी राशि के अनुसार ईष्ट देव की पूजा करते हैं तो वह आपकी आत्मा के सबसे निकट और अधिक सहायक एवं फलदायी होते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति का अपनी अपनी राशि के अनुसार इष्ट देव अलग-अलग होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक राशि के लिए एक मुख्य देवता होता है, जिसकी पूजा सुमिरन करने से जातक को वांछित फल और सब तरह से लाभ होता है।
यदि आपकी अपनी राशि के एक से अधिक ईष्ट हों तो उनमें से आप अपने उस देवता को ईष्ट मान सकते हैं जिसे परिवार में अपने से बड़े सदस्य ने माना हुआ है अन्यथा आपको जिसमें भाव हो, उसे ईष्ट मान कर यथाशक्ति आराधना और जप सुमिरन करें। पत्नी अपने पति के ईष्ट की और संतान विवाह होने तक अपने माता पिता के ईष्ट की भी पूजा करें, यह भी वांछनीय है।
इसके पीछे शास्त्रीय विधान यह है कि यदि परिवार में ईष्ट भी एक हो, सभी एक विधि से पूजा उपासना पद्धति का पालन करते हों तो उनके विचारों और सोच में भी एकरूपता रहती है। इसका पारिवारिक जीवन और बहुत प्रभाव होता है। इसीलिए अक्सर देखा गया है कि जिस परिवार में एक ही ईष्ट की सभी मिलकर पूजा अर्चना करते हैं तो वहां उस देवता की शक्ति और भक्ति कई गुणा बढ़कर घर में सुख शांति और व्यापार व्यवसाय में समृद्धि प्रदान करती है। जबकि जिस परिवार में सबके अपने अपने अलग अलग ईष्ट देव होते हैं, वहाँ सभी अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग अलापते हैं और कलह क्लेश का वातावरण बना रहता है।
एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जातक को अपने प्रत्येक कार्य में ईष्ट को सम्मुख रखते हुए उन्हें प्रसन्न और मंत्र जाप से बलवान करते रहना चाहिए ताकि ईष्ट देवता उनकी हर परिस्थिति में रक्षा और सहायता कर सकें।
इष्ट देव वह देवता होता है जिसके प्रति आपकी विशेष श्रद्धा और प्रेम होता है.
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जन्म कुंडली:
ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली के पंचम भाव से इष्ट देव का पता चलता है। कुंडली के सबसे ऊपर लग्न लिखा होता है, उससे बाईं ओर पांचवे खाने तक गिनने पर पांचवा भाव होता है। इस भाव में जो ग्रह या राशि होती है, उसके अनुसार इष्ट देव का निर्धारण किया जाता है.
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राशि:
प्रत्येक राशि का एक स्वामी ग्रह होता है और उस ग्रह के अनुसार इष्ट देव का निर्धारण किया जाता है। उदाहरण के लिए, मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए हनुमान जी और राम जी इष्ट देव हो सकते हैं, जबकि वृषभ और तुला राशि वालों के लिए देवी दुर्गा इष्ट देव हो सकती हैं.
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मन की भावना:
बिना किसी कारण के ईश्वर के जिस स्वरूप के प्रति आपका आकर्षण हो, वह आपका इष्ट देव हो सकता है। यह भी संभव है कि आपके पूर्व जन्म के संस्कारों के कारण भी आपका मन किसी विशेष देवी-देवता की ओर आकर्षित हो.
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ईश्वर के विभिन्न रूपों के प्रति आकर्षण:
किसी विशेष देवता या देवी के प्रति आपकी श्रद्धा और प्रेम आपके इष्ट देव को निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं।
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अपनी जन्म तिथि के अनुसार:
ज्योतिष के अनुसार, कुछ लोग जन्म तिथि के अनुसार भी इष्ट देव का निर्धारण करते हैं।
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अपने कुल देवता को इष्ट देव मानना:
कुछ लोग अपने कुल देवता को इष्ट देव मानते हैं, जो उनके परिवार का एक विशेष देवता होता है.
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किसी गुरु या ज्योतिष से सलाह लें:
यदि आपको इष्ट देव के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो आप किसी गुरु या ज्योतिष से सलाह ले सकते हैं.
*यहाँ राशि के अनुसार इष्ट देव की सूची दी गई है:*
1.मेष राशि: हनुमान जी और श्री राम
2.वृष राशि: देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी और गुरु शुक्राचार्य
3.मिथुन राशि: गणेश जी
4.कर्क राशि: भगवान शिव
5.सिंह राशि: हनुमान जी, सूर्य देव (माँ गायत्री)
6.कन्या राशि: भगवान गणेश
7.तुला राशि: देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी और गुरु शुक्राचार्य
8.वृश्चिक राशि: हनुमान जी एवं शिवजी, श्री राम
9.धनु राशि: भगवान विष्णु, श्री राम
10.मकर राशि: शनिदेव और हनुमान जी, काली माता एवं भैरव
11.कुंभ राशि: शिवजी एवं हनुमान जी, काली माता एवं भैरव
12.मीन राशि: भगवान विष्णु
अपने ईष्ट की पूजा आराधना में उनके बीज मंत्र का जाप और उनके कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। जितना आपका ईष्ट मजबूत होगा, उतना आपका जीवन भी मजबूत होगा। जितना आपका ईष्ट प्रसन्न होगा, उतना आपका जीवन भी प्रसन्न होगा।
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व्यक्तिगत जुड़ाव:
इष्ट देवता वह है जिसके साथ आप व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करते हैं और जिसकी ओर आप दुख या निराशा के समय सबसे पहले मुड़ते हैं।
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आध्यात्मिक मार्गदर्शन:
इष्ट देवता को आध्यात्मिक मार्गदर्शक और रक्षक माना जाता है, जो लोगों की ज़िंदगी में उनकी मदद करते हैं।
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जन्म कुंडली:
ज्योतिष के अनुसार, जन्म कुंडली के आधार पर भी इष्ट देवता का पता लगाया जा सकता है।
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जन्म माह:कुछ मान्यताओं के अनुसार, जन्म माह के अनुसार भी इष्ट देवता का पता लगाया जा सकता है, जैसे कि मई में पैदा हुए लोगों के इष्ट देव ब्रह्मा जी होते हैं। यह एक भिन्न पद्धति है।
*नोट:* कुछ ज्योतिषियों के अनुसार, किसी व्यक्ति का इष्ट देव उसकी जन्म कुंडली के पांचवें भाव में स्थित ग्रह या नक्षत्र से भी निर्धारित किया जा सकता है.
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