क्या आप मंदिर जाते हैं ?
*ॐ सर्व शक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नमः*….
मंदिर जाने की परम्परा के पीछे वैज्ञानिक आधार
नंगे पांव मंदिर जाने का विधान
मंदिर में प्रवेश नंगे पैर ही करना पड़ता है, यह नियम दुनिया के हर मंदिर में है।* इसके पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि मंदिर की फर्शों का निर्माण पुराने समय से अब तक इस प्रकार किया जाता है कि ये इलेक्ट्रिक और मैग्नैटिक तरंगों का सबसे बड़ा स्त्रोत होती हैं। जब इन पर नंगे पैर चला जाता है तो अधिकतम ऊर्जा पैरों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाती है।
आरती के बाद दीपक पर हाथ घुमाकर सर आंखों पर स्पर्श
दीपक के ऊपर हाथ घुमाने का वैज्ञानिक कारण : आरती के बाद सभी लोग दिए पर या कपूर के ऊपर हाथ रखते हैं और उसके बाद सिर से लगाते हैं और आंखों पर स्पर्श करते हैं। ऐसा करने से हल्के गर्म हाथों से दृष्टि इंद्री सक्रिय हो जाती है और बेहतर महसूस होता है।
*मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान का विग्रह होता है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है, इसके पीछे कारण यह है कि इसे बजाने से निकलने वाले नाद (आवाज) से सात सेकंड तक गूंज बनी रहती है जो शरीर के सात हीलिंग सेंटर्स को सक्रिय कर देती है।
*भगवान की मूर्ति*
मंदिर में भगवान की मूर्ति को गर्भ गृह के बिल्कुल बीच में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस जगह पर सबसे अधिक ऊर्जा होती है जहां सकारात्मक सोच से खड़े होने पर शरीर में सकारात्मक ऊर्जा पहुंचती है और नकारात्मकता दूर भाग जाती है।
परिक्रमा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण
हर मुख्य मंदिर में दर्शन करने और पूजा करने के बाद परिक्रमा करनी होती है। परिक्रमा 3, 5, 7 बार करनी होती है। जब मंदिर में परिक्रमा की जाती है तो सारी सकारात्मक ऊर्जा, शरीर में प्रवेश कर जाती है और मन को शांति मिलती है।
कृपया मंदिर पूजन के प्रति इन वैज्ञानिक आधारों को अधिकाधिक शेयर कीजिए ताकि आम जन मंदिर की इन व्यवस्थाओं को समझ सकें ….!!!
मंदिर जाने का सबसे बड़ा लाभ वहां से प्राप्त सकारात्मक ऊर्जा है जो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाती है
नित्य सपरिवार मंदिर जाने की आदत डालिये। आपके परिवार में कभी कोई समस्या नहीं होगी। सबकी सोच सकारात्मक बनी रहेगी।नियम बनाइये कि आप नियमित रूप से मंदिर जाते रहें। यदि घर में नित्य भगवान की पूजा करते हैं और दूरी के कारण मंदिर जाने का नित्य क्रम नहीं कर पाते हैं तो कम से कम सप्ताह में एक बार मंदिर सपरिवार जाएं।* बाकी बातें अन्य लेख में…
*जय जय राम जय सनातन धर्म *