साईं चाँद मियां का पर्दाफ़ाश
*साईबाबा* ” एक *झूठा* चरित्र तथा *लुटेरा* !
उसी का *पर्दाफाश* हैं यह!
ज्यादासे *ज्यादा* आगे *फैलाना*!
मूर्ख *दोगले* *हिंदुओंका* सच *उजागर*!
#साई_का_पर्दाफाश!!!!
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#साईं के बारे में अब तक का #सबसे_बड़ा_खुलासा
*पिण्डारी* *डाकू* साईं की असली कहानी और उसके द्वारा हिन्दुओ के खिलाफ जिहाद फैलाने के षड्यंत्र का भांडाफोड़
पिछले दिनों मेरे एक मित्र ने शिर्डी साईं के बारे में बहुत सी जानकारी इकठ्ठा की और मुझे बताया की साईं असल में क्या है कहा से आया,, जनम मरण औऱ फिर इतने लम्बे समय बाद उसका भगवान बन के निकलना ,
ये सब कोई संयोग नहीं सोचा समझा षड्यंत्र है, ब्रिटेन की ख़ुफ़िया एजेंसी MI5 का
जी हाँ मित्रो, एक ब्रिटिश एजंसी ने श्री राम मंदिर आन्दोलन के बाद अचानक साईं की भक्ति में तेजी देखी, इसके पीछे गहरी साजिश थी।
वैसे ब्रिटेन और शिर्डी के साईं का रिश्ता बहुत ही गहरा है । ये साईं वही है जो 1857 की क्रांति में कुछ लूटेरो के साथ पकड़ा गया था.
MI5 ब्रिटेन की ख़ुफ़िया एजेंसी है ,
साईं का पूरा इतिहास खोज निकलने में इस एजंसी का महत्वपूर्ण योगदान है, साईं का जन्म 1838 में हुआ था,
पर कैसे हुआ और उसके बाद की पूरी कथा बहुत ही रोचक है, साईं के पिता का असली नाम था बहरुद्दीन,जो अफगानिस्तान का एक पिंडारी था, वैसे इस पर एक फिल्म भी आई थी जिसमे पिंडारियो को देशभक्त बताया गया है, ठीक वैसे ही जैसे गाँधी ने मोपला और नोआखली में हिन्दुओ के हत्यारों को स्वतंत्रता सेनानी कहा था।
इसके पीछे इतिहास यह है कि औरंगजेब की मौत के बाद मुग़ल साम्राज्य ख़तम सा हो गया था केवल दिल्ली उनके आधीन थी,
मराठा के वीर सपूतो ने एक तरह से हिन्दू साम्राज्य की नीव रख ही दी थी, ऐसे समय में मराठाओ को बदनाम करके उनके इलाको में लूटपाट करने का काम येपापपिंडारी करते थे, इनका एक ही काम था लूत्पार करके जो औरत मिलती उसका बलात्कार करना.आज एक का बलात्कार कल दूसरी का, इस तरह से ये मराठाओ को तंग किया करते थे, पर समय के साथ साथ देश में अंग्रेज आये और उन्होंने इन पिंडारियो को मार मार कर ख़तम करना शुरू किया,
साईं का बाप जो एक पिंडारी ही था, उसका मुख्य काम था अफगानिस्तान से भारत के राज्यों में लूटपाट करना, एक बार लूटपाट करते करते वह महाराष्ट्र के अहमदनगर पहुचा जहा वह एक वेश्या के घर रुक गया, उम्र भी जवाब दे रही थी, सो वो उसी के पास रहने लग Sony6, कुछ समय बाद उस वेश्या से उसे एक लड़का और एक लड़की पैदा हुआ, लड़के का नाम उसने चाँद मियां रखा और उसे लेकर लूट पात करना सिखाने के लिए उसे लिए उसे अफगानिस्तान ले गया,
उस समय अंग्रेज पिंडारियो की ज़बरदस्त धर पकड़ कर रहे थे इसलिए बहरुद्दीन भेस बदल कर लूटपाट करता था उसने अपने सन्देश वाहक के लिए चाँद मिया को रख लिया,
चाँद मिया आज कल के उन मुसलमान भिखारियों की तरह था जो चादर फैला कर भीख मांगते थे, जिन्हें अँगरेज़ Blanket bagger कहते थे,
चाँद मिया का काम था लूट के लिए सही वक़्त देखना और सन्देश अपने बाको देना,
वह उस सन्देश को लिख कर उसे चादर के निचे सिल कर हैदराबाद से अफगानिस्तान तक ले जाता था, पर एक दिन ये चाँद मियां अग्रेजो के हत्थे लग गया और उसे पकडवाने में झाँसी के लोगो ने अंग्रेजो की मदद की जो अपने इलाके में हो रही लूटपाट से तंग थे उसी समय देश में पहली आजादी की क्रांति हुई और पूरा देश क्रांति से गूंज उठा,
अंग्रेजो के लिए विकट समय था और इसके लिए उन्हें खूंखार लोगो की जरुरत थी,
बहर्दुद्दीन तो था ही धन का लालची, सो उसने अंग्रेजो से हाथ मिला लिया और झाँसी चला गया,
वह उसने लोगो से घुलमिल कर झाँसी के किले में प्रवेश किया और समय आने पर पीछे सरवाजा खोल कर रानी लक्ष्मी बाई को हारने में अहम्भूमिका अदा की,
यही चाँद मिया आठ साल बाद जेल से छुटकर कुछ दिन बाद शिर्डी पंहुचा और वह के सुलेमानी लोगो से मिला जिनका असली काम था – गैर मुसलमानों के बीच रह कर चुपचाप इस्लाम को बढ़ाना|
चाँद मियां ने वही से #अल_तकिया का ज्ञान लिया और हिन्दुओ को फ़साने के लिए साईं नाम रख कर शिर्डी में आसन जमा कर बैठ गया, मस्जिद को जानबूझ कर एक हिन्दू नाम दिया और उसके वहा ठहराने का पूरा प्रबंध सुलेमानी मुसलमानों ने किया, एक षड्यंत्र के तहत साईं को भगवान का रूप दिखाया गया और पीछे से ही #हिन्दू_मुस्लिम_एकता की बाते करके स्वाभिमानी मराठाओ को मुर्दा बनाने के लिए उन्हें उनके ही असली दुश्मनों से एकता निभाने का पाठ पढाया गया
पर पीछे ही पीछे साईं का असली मकसद था लोगो में इस्लाम को बढ़ाना,
इसका एक उदाहरण सत्चरित्र में है कि साईं के पास एक पोलिस वाला आता है जिसे साईं मार मार भगाने की बात कहता है,
अब असल में हुआ ये कि एक पंडित जी ने अपने पुत्र को शिक्षा दिलवाने के लिए साईं को सोंप दिया पर साईं ने उसका खतना कर दिया। जब पंडित जी को पता चला तो उन्होंने कोतवाली में रिपोर्ट कर दी, साईं को पकड़ने के लिए एक पुलिस वाला भी आया जिसे साईं ने मार कर भगाने की बात कही थी, हमारी साई बाबा से कोई निजी दुश्मनी नही है ।परतुं हिन्दू धर्म को नाश हो रहा है।
इसलिए होपधारा के माध्यम से हम कुछ सवाल करना चाहते हैं।
हिन्दू धर्म एक सनातन धर्म है, लेकिन आज कल के लोग इस बात से परिचित नही हैं । क्या उन्हें अपने सनातन धर्म के विषय में अधिक जानकर पता नहीं लगाना चाहिए कि उनके सनातन धर्म में यह साईं कहाँ है?
जब भारत मे अंग्रेजी सरकार अत्याचार , और और सबको मौत के घाट उतार रहे थे तब साई बाबा ने कौन से ब्रिटिश अंग्रेजो के साथ आंदोलन किया ?
जिदंगी भिख मांगने मे कट गई?
मस्जिद मे रह कर कुरान पढना जरूरी था.
बकरे हलाल करना क्या जरूरी था ?
सब पाखंड है, पैसा कमाने का जरिया है।
ऐसा कौन सा दुख है कि उसे भगवान दूर नही कर सकते है,
श्रीमतभगवत गीता मे लिखा है कि श्मशान और समाधि की पुजा करने वाले मनुष्य राक्षस योनी को प्राप्त होते है
साई जैसे पाखंडी की आज इतनी ज्यादा मार्केटिंग हो गयी है कि हमारे हिन्दू भाई बहन आज अपने मूल धर्म से अलग होकर साई मुल्ले पूजा करने लगे है।
आज लगभग हर मंदिर में इस जिहादी ने कब्जा कर लिया है।
हनुमान जी ने हमेशा सीता राम कहा और आज के मूर्ख हिन्दू हुनमान जी का अपमान करते हुए सीता राम की जगह साई राम कहने लग गए ।
बड़ी शर्म की बात है।
आज जिसकी मार्केटिंग ज्यादा उसी कि पूजा हो रही है। इसी लिए कृष्ण भगवान ने कहा था कि कलयुग में इंसान पथ और धर्म दोनों से भ्रष्ट हो जाएगा।
100 मे से 99 को नहीं पता साई कौन था इसने कौन सी किताब लिखी क्या उपदेश दिये पर फिर भी भगवान बनाकर बैठे है।
साई के माँ बाप का सही सही पता नहीं पर मूर्खो को ये पता है कि ये किस किस के अवतार है।
अंग्रेज़ो के जमाने मे मूर्खो के साई भगवान पैदा होकर मर गए पर किसी भी एक महामारी भुखमरी मे मदद नहीं की।
इनके रहते भारत गुलाम बना रहा पर इन महाशय को कोई खबर नहीं रही।
शिर्डी से कभी बाहर नहीं निकले पर पूरे देश मे अचानक इनकी मौत के 90-100 साल बाद इनके मंदिर कुकरमूतते की तरह बनने लगे। । चालीसा हनुमानजी की हुआ करती थी आज साई की हो गयी।
राम सीता के हुआ करते थे। आज साई ही राम हो गए। श्याम राधा के थे आज वो भी साई बना दिये गए। ब्रहस्पति दिन विष्णु भगवान का होता था आज साई का मनाया जाने लगा।
भगवान की मूर्ति मंदिरो में छोटी हो गयी और साई विशाल मूर्ति मे हो गए।
प्राचीन हनुमान मंदिर दान को तरस गए और साई मंदिरो के तहखाने तक भर गए। मूर्ख हिन्दुओ अगर दुनिया मे सच मे कलयुग के बाद भगवान ने इंसाफ किया तो याद रखना मुह छुपाने के लिए और अपनी मूर्ख बुद्धि पर तरस खाने के लिए कही शरण भी न मिलेगी।
इसलिए भागवानो की तुलना मुल्ले साई से करके पाप न करे
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सनातन की रक्षा के लिये पोस्ट शेयर करे
एक भी हिन्दू इस पोस्ट से पाखन्ड से निकल
गया तो मेरे लिखे शब्द सार्थक हो जायेगे
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#जय_सनातन_जय_जय_राम
हमें खुशी है यह बताते हुए कि अनेक हिन्दू सिंधी परिवारों ने इस चांद मियां की सच्चाई जानकर शिरडी जाना और इसपाखंडी की पूजा करना बंद कर दिया है।
पहले मेरे पास गुरुवार के दिन इस चाँद मियां की फ़ोटो के साथ शुभ गुरुवार की शुभेच्छा की पोस्ट आया करती थी। उत्तर में मैंने उन्हें साईं चाँद मियां की सच्चाई की पूरी कहानी भेजनी शुरू करदी। परिणामस्वरूप, उन लोगों ने न केवल मुझे या किसी को वैसी पोस्ट भेजनी बन्द कर दी बल्कि चाँद मियां से ही किनारा कर पक्के सनातनी बन गए।
आप भी ऐसा करके देखिए, उन लोगों की इस पाखंड और चाँद मियां की कैद से मुक्ति होगी, साथ ही सनातन धर्म की रक्षा भी होगी।
साई चाँद मिया के कुछ चमत्कारिक कार्य उसके ही पुस्तक साई सत्चरित्र से
@ अध्याय 4, 5, 7 – साईं बाबा के होंठो पर सदैव “अल्लाह मालिक” रहता था,
@ साईं मस्जिद मैं रहता था अध्याय- 1, 3, 4, 7, 8, 9, 11, 13
@ साईं बकरे हलाल करता था … अध्याय- 5, 11, 14, 23, 28, 50
@ अध्याय 5 – साईं बाबा ने दियो में थूक कर दिए जलाए,
@ अध्याय 7 – साईं बाबा फकीरों के साथ आमिष और मछली का भी सेवन कर लेते थे,
@अध्याय 11 – साईं बाबा ने पूछा की हाजी से पूछो की उसे बकरे का गोश्त पसंद है या नाध या अंडकोष
@ अध्याय 11, 28 – साईं बाबा खाने के समय फातिहा कुरान पढ़ते थे
@ अध्याय 5, 14, 50 – साईं बाबा बीडी चिलम पीते थे और अपने भक्तो को भी पीने के लिए देते थे, जिस कारण उन्हें दमा था,
@ अध्याय 18, 19 – इस मस्जिद में बैठ कर मैं सत्य ही बोलुगा की किन्ही साधनाओ या शास्त्रों के अध्ययन की आवश्यकता नहीं है,
@ अध्याय 10- न्याय या दर्शन शास्त्र या मीमांसा पढने की आवश्यकता नहीं है,
@ अध्याय 23 – प्राणायाम, श्वासोंचछवासम हठयोग या अन्य कठिन साधनाओ की आवश्यकता नहीं है,
@ अध्याय 28 – चावडी का जुलुस देखने के दिन साईं बाबा कफ से अधिक पीड़ित थे,
@अध्याय 43, 44 – 1886 मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन साईं बाबा को दमा से अधिक पीड़ा हुई,
@ अध्याय 43, 44 – साईं बाबा ने खुद को पास वाले मंदिर में इस्लामिक रीती रिवाज से पूजने की बात कही थी, जिसके बाद मंदिर में ही गड्ढा खोद कर उन्हें वहां दफना दिया गया था,
@ एक एकादशी के दिन उन्होने केलकर को कुछ रूपये देकर कुछ मास खरीद कर लाने को कहा (अध्याय38)
@ एसे ही एक अवसर पर उन्होने दादा से कहा,देखो तो नमकीन बिरयानी पुलाव कैसा पका है?दादा ने यो ही कह दिया कि अच्छा है।तव वे कहने लगे तुमने न अपनी आखो देखा न जीव से स्वाद लिया,फिर तुमने कैसे कह दिया अच्छा बना है?
@ अध्याय 38 – मस्जिद से बर्तन मंगवाकर वे “मौलवी से फातिहा” पढने के लिए कहते थे,
मित्रो, आज तक मैंने जितने भी साईं मंदिर देखे है उन सभी में साईं की मुर्तिया बहुत ही सुन्दर और मनमोहक होती है,
असल में एक पूरी योजना के साथ झूठ का प्रचाररसEP करके साईं को मंदिरों में बिठाने का षड्यंत्र 1992 में श्री रामजन्मभूमि के बाद शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य था राम के नाम पर उग्र हो चुके हिन्दुओ के जोश को ठंडा करके एक ऐसा विकल्प देना जिसके पीछे भाग कर हिन्दू राम को भूल जाए,
आज जितने देश में राम मंदिर है उतने ही साईं के मस्जिद रूपी मंदिर बन चुके है, हर राम मंदिर में राम जी के साथ साईं नाम का अधर्म बैठा हुआ है,
अधिकतर साईं के मंदिर 1998 के बाद ही बने है तब इस्लामिक संगठनो द्वारा साईं के प्रचार के लिए बहुत अधिक धन लगाया गया,
साईं के सुन्दर सुन्दर भजन, गाने, मूर्तियाँ, झूठी कहानियां बनाई गयी, कुछ कहानियां साईं सत्चरित्र से मेल खाती है जैसे की दिवाली पर दिए जलाने की घटना जो असल में साईं ने दियो में थूक कर जलाये थे,
ऐसी ही बहुत सी घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर पेश किया और हिन्दुओ में सेकुलरिज्म का बीज साईं के रूप में अंकुरित किया गया,
यदि किसी को ये झूठ लगे तो स्वयं ही वो शोध कर ले,
साईं की असली मूर्ति आप देखिए – उनमें साईं एक मुस्लिम और पूरी तरह से केवल एक कट्टर मुस्लिम ही दिखाई देगा जिसमे सनातन धर्म का अंश मात्र भी नहीं दिख रहा है,
पर साईं को सनातन धर्म में बिठाने वालो ने साईं का भगवाकरण किया और मुर्ख हिन्दुओ ने उसमें पैसे कमाने के लिए मार्केटिंग की,
आज भी साईं के मुर्ख भक्त ये नहीं सोचते कि साईं की असली कट्टर मुस्लिम छवि वाली बदसूरत मूर्ति की जगह उसकी सुन्दर मूर्तियाँ बनाने का क्या प्रायोजन था?
जिस दिन साईं के भक्त ये समझ जायेंगे उस दिन उनका सनातन धर्म में वापिस शुद्धिकरण हो जाएगा, ; मजे की बात कि मुसलमान यह जानते हुए भी कि चाँद मियां मुस्लिम था, मुसलमान स्वयं शिरडी या चाँद मियां के मंदिर मजारों पर नहीं जाते ताकि उन्हें देखकर हिंदुओं को साईं के चाँद मियां या मुसलमान होने की सच्चाई पक्काई ज्ञात न हो जाय।
एक और तथ्य की बात है – साईं ट्रस्ट के एक पदाधिकारी ने भी कोर्ट में हलफनामा देकर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और जनता को भ्रमित करने के विषय में स्पष्टीकरण देकर साईं ट्रस्ट से स्वयं को अलग कर लिया । यह भी अपने आप में प्रमाण है कि साईं नाम का ये ढोंग गठित कर किस प्रकार सनातनियों को ठगा गया है।
मित्रों ! हमें तो आधे मुस्लिम बन चुके इन साईं भक्तो का शुद्धिकरण ही करना है यही है हमारा संकल्प, यही है हमारा उद्देश्य, और यही धर्म के प्रति हमारा कर्तव्य है,
शेयर करे और हिन्दुओ को जगाये,
चाहे sms करे, whatsapp करे या मेल करे पर अपने मित्रो को साईं के विषय में बताये,
जय जय राम
हिन्दू जागेगा, साईं भागेगा,
होपधारा से जुड़े रहिये और जोड़ते रहिये।