बंगलादेश में हाहाकार पर चुप कौन कौन?

अगर आप हिन्दू होकर भी बंगलादेश में हिंदुओं की हत्याओं, बलात्कार और अत्याचार पर चुप हैं तो आप हिन्दू नहीं, हिजड़े हो!
*आज बांग्लादेश का कोई हिंदू टैक्स के लिए परेशान नहीं?*
*महंगाई के लिए परेशान नहीं?*
*बेरोजगारी के लिए परेशान नहीं?*
*फ्री बिजली पानी के लिए परेशान नहीं?*
*गटर और सड़क के लिए परेशान नहीं*
*जात-पात के लिए परेशान नहीं*
*ऊंच-नीच के लिए परेशान नहीं*
*अमीर गरीब के लिए परेशान नहीं*
*आरक्षण के लिए परेशान नहीं*
*वामपंथ दक्षिणपंथ के लिए परेशान नहीं*
*किसी भी अन्य सुविधाओं के लिए परेशान नहीं!*
*आज वो परेशान है तो सिर्फ जेहादियों से अपनी जान बचाने के लिए*
*आज वो परेशान है तो सिर्फ गुल्लीकट्टुओं से अपने बच्चों की जान बचाने के लिए*
*आज वो परेशान है तो सिर्फ कटुओं से अपने घर की महिलाओं की इज्जत बचाने के लिए *
लेकिन आज क्यों पूरा बॉलीवुड चुप है? अब आल आईज ऑन बांग्लादेश हैशटैग वायरल क्यों नहीं है? कॉमेडियन नेता, मीडिया बुद्धिजीवी मियां लार्ड सब के सब बिलों में क्यों घुसे बैठे हैं?
सिकुलर हिन्दुओं कुछ समझ आया कि अब भी खटाखट बैंक वाले आलू से सोना बनाने वाले ढोंग्रेसियों के चक्कर में हो? उनके अब्बा की अम्मी के नाजायज खाविंद बांग्लादेश में अमेरिकी बड़े अब्राहमिक ईसाई भाई के इशारे पर हिंदुओं को मरवा रहे हैं, समझ रहे हो ना बिनोद?
यदि दुनिया का सबसे बड़ा अवार्ड देने वाली नोबल पुरस्कार समिति के लोगों में जरा भी शर्म बची हो तो उनके द्वारा पुरस्कृत नोबल शांति पुरस्कार विजेता यूनुस मोहम्मद का अवार्ड निरस्त कर उसे हत्यारे के पुरस्कार से नवाजे क्योंकि हिंदुओं की हत्याओं के जिम्मेदार वही हैवान है, 1 वर्ष की मासूमों से लेकर 70 वर्ष की महिलाओं के बलात्कार का दोषी वही शैतान है। नोबल समिति चुप क्यों हैं?
भारत के विपक्षी दलों के नेताओं की चुप्पी बता रही है कि वे या तो कायर बुजदिल और बिके हुए हैं अन्यथा हिन्दू व अन्य भारतीयों के भेष में उनकी गुल्ली कटी हुई है और वे भी जिहादी और इस्लामिक शैतान ही हैं। वरना क्यों चुप हैं राहुल गांधी खान, प्रियंका वाड्रा, मिल्लिकार्जुन खड़गे, अखिलेश यादव और उसका कुनबा परिवार, अरविंद केजरीवाल कंजरवाल, संजय सिंह, उद्धव औरंगजेब ठाकरे, शरद पवार, सुप्रिया पवार, ममता बानो बनर्जी, लालू यादव तेजस्वी यादव, हेमंत सोरेन, स्टॅलिन, सिद्धारमैया, रेवन्त रेड्डी, जगन रेड्डी, सीताराम येचुरी, मनीष सिसोदिया, ये तो सब चुप हैं ही, इनके साथ इनकी पार्टी के प्रवक्ता और वक्ताओं की जुबान को भी लकवा मार गया है। भगवान करें कि बंगलादेश में मारे गए हिंदुओं और बलात्कार की शिकार स्त्रियों बच्चियों की बद्दुआएं इन सभी खामोश नेताओं, अभिनेताओं और उनके चमचों समर्थकों को ऐसी लगे कि उनकी जुबान वास्तव में लकवाग्रस्त होकर उन्हें सिसकती गिड़गिड़ाती जिंदगी दें।
हम दूर से देखते सुनते हिन्दू और कुछ न कर सकें तो ईश्वर से हमारे हिन्दू भाई बहिनों की आत्मा की शांति हेतु उनकी आहों को सुनने की प्रार्थना तो कर सकते हैं !!!
हरि ॐ
पुनश्चः : एक और कार्य हम सब हिन्दू सनातनी आसानी से कर सकते हैं। मुसलमानों का सम्पूर्ण बहिष्कार – इनसे कोई आर्थिक व्यवहार न करना, घरों में काम करनेवाली बंगलादेशी मेड्स की पूर्णतया छुट्टी, सभी निर्माण कार्यों में लगे रोहिंग्यों की छुट्टी – बस इतना सा कार्य कर देने से इन म्लेच्छों, जिहादियों की अक्ल ठिकाने आ सकती है। इसलिए अधिकाधिक हिंदुओं की इसके लिए प्रेरित करें और इस बहिष्कार के अभियान को सफल बनायें।
जागो और जगाओ हिन्दू