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हिंदुओं! आत्म रक्षा और अस्तित्व हेतु शस्त्र खरीदो

कभी ध्यान से देखा या सोचा कि हिन्दू देवी देवताओं के हाथों में कोई न कोई अस्त्र शस्त्र क्यों होंते हैं?

क्या उन्हें किसी से खतरा रहता था या है ?


क्या आपके अस्तित्व को भी कोई खतरा है किसी से?

पहले हमारे देश में आये दिन बम धमाके, साम्प्रदायिक दंगे और उग्रवादी घटनाएं होती रहती थी जो विगत 10 वर्षों लुप्तप्राय अथवा न्यूनतम हो गयी है। फिर भी क्या भारत में हिन्दू सुरक्षित हैं?

क्या यह भी एक कारण है जिससे विगत 5-6 दशकों से भारतीयों का विदेश जाकर बसना एक सपना रहा है। अच्छी नौकरी, अच्छी कमाई, अच्छी जिंदगी और शांति के वातावरण में जीने की उनकी ख्वाहिश उन्हें कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, न्यूजीलैंड, इटली, आदि देशों में बेहतर और शांति की जिंदगी की तलाश रही हैं। भारत में अक्सर होते साम्प्रदायिक दंगे, आतंकवादी हमले और विभिन्न प्रकार के जिहाद ने उन्हें भारत से पलायन करने को मजबूर और प्रेरित किया।

हिंदुओं ने सोचा विदेश में जायेंगे तो खुश रहेंगे।  

सच्चाई ये है कि अब वहाँ भी पिट रहे हैं। क्योंकि हिंदुओं ने प्रकृति का नियम कभी समझा ही नहीं।

यह प्रकृति कोई बगीचा नहीं है कि पैसा कमाओगे, आलीशान घर बनाओगे और चैन की नींद सो लोगे। यह प्रकृति एक जंगल है जिसमें जंगली लुटेरे, चोर, डाकू चौबीसों घंटे, 365 दिन सभ्य लोगों को लूटने की चिंता में रहते हैं।

कश्मीर में हिंदुओं ने बहुत कमाकर जुटाकर शानोशौकत की जिंदगी जी, लेकिन एक दिन अचानक रातोंरात सब कुछ छोड़कर भागना पड़ा, जो न भाग सके और घर-सम्पति से चिपके रहे, उन्हें जान-माल और इज्जत से हाथ धोना पड़ा, बल्कि अमानवीय यातनाओं से गुजरकर जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। बड़ी दर्दनाक कहानी है कश्मीर फ़ाइल!

उससे भी दर्दनाक दास्तां 1947 की आज़ादी का तोहफा थी वो ट्रैन जिसमें लाखों लाशें हिन्दू बड़े-बुजुर्ग बच्चे और महिलाओं की आयी थी लाहौर से अमृतसर…सुनकर ही खून खोलता है।

क्योंकि हिंदुओं ने सब कुछ बनाया, लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए कभी शस्त्र नहीं खरीदे। अगर शस्त्र खरीद लिए होते तो न पाकिस्तान से पलायन करना पड़ता, न कश्मीर से और अब ना UK और कनाडा से।

सोचिए, जिस UK में आप जाने का सपना रखते हैं उस UK जैसे देश में भी आप सुरक्षित नहीं हैं। आखिर क्या करेंगे ऐसे बंगले का जिसे एक दिन जेहादी लूट ही लेंगे, अपनी सुरक्षा के लिए पहले शस्त्र खरीदो।

जिस कनाडा में आप स्टूडेंट वीजा पर गए या पंजाब से उड़कर इधर उधर भटककर पहुंचे, आज वहां खालिस्तानी बनकर भारतीयों को चुन चुन कर मार रहे है, भगा रहे है। यहां तक।कि वहां की सरकार भी खलिस्तानियों का साथ दे रही है, मजबूरन भारत सरकार आपको कनाडा जाने से रोक रही है आपकी सुरक्षा की खातिर।

अशांतिदूत म्लेच्छों  राक्षसों  ने 57 देशों पर यूं ही राज कायम नहीं किया । उनके कांसेप्ट बिल्कुल क्लियर है। वे इस दुनिया को जंगल समझते हैं और इस जंगल में वही राजा होगा जो दूसरों का शिकार करना जानता है। जब तक तुम शिकार करना नहीं सीखोगे तब तक कोई और तुम्हारा शिकार करता रहेगा। बड़े आये हिन्दू राष्ट्र बनानेवाले, पहले अपनी रक्षा तो कर लो

इसीलिए पूरे विश्व के हिंदुओं से आग्रह है कि सबसे पहले शस्त्र खरीदिए उसके बाद गाड़ी, बंगला, बैंक-बैलेंस सब कुछ! वरना ये जेहादी जो आज झोंपड़ी में रह रहा है वो उसके शस्त्र का प्रयोग करके आपसे वो सब कुछ छीन लेगा जिसके लिए आप ने जीवन भर तपस्या की है।

बहुत हो लिया जब आप अपनी जीवन भर की पूंजी लगाकर बच्चों को ऊंची शिक्षा दिलाकर विदेश भेज दिया, वे वहीं सेटल हो गए और आप वृद्धावस्था में एकाकी बंगले या किसी वृद्धाश्रम में सड़ रहे होंगे और जिहादी आपकी सम्पति पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए आपके मरने या किसी दंगे की प्रतीक्षा में। आपके बच्चे ये गलती ना कर बैठे, इसलिए समय रहते उन्हें चेताइये और अपने धर्म और सनातनी संस्कारों का पुनर्पाठ करके उन्हें अस्त्र शस्त्रों की शिक्षा दिलवाइये ताकि वो आपकी भी और अपनी भी रक्षा कर सकें।

पहली फुरसत में शस्त्र खरीदो और कुछ नहीं, कोई इन्वेस्टमेंट नहीं, कोई दूसरी खरीददारी नहीं, सिर्फ शस्त्र ही आपके लिए एक टास्क है।

यदि आपके घर परिवार में 17 से 21 वर्ष के युवा हैं तो उन्हें अग्निवीर में प्रवेश की तैयारी करवाइए। यदि वे अग्निवीर बनने में सफल हो गए तो आपको व आपके आसपड़ोस को उनके रूप में  एक सुरक्षा कवच मिल जाएगा।

और कल से आप जिन 5 मंदिरों में जाओगे वहां पर अपने देवी-देवताओं की मूर्तियों का अच्छे से अवलोकन कीजिएगा उनके हाथों में क्या है…? गौर करोगे तो आपको शस्त्र दिखेगा, ये मेरा दावा है। ये सिग्नल है ये संदेश है।

जब कोई जेहादी आपको मार देगा और आप भगवान के पास जाकर बोलोगे कि भगवान आप ने हमारी रक्षा क्यों नहीं की। तब भगवान बोलेंगे…
_”जिस मंदिर को तू जाता था वहां पर मेरे हाथ में शस्त्र थे तूने उसको देखा ही नहीं, मैं तो संदेश दे रहा था शस्त्र खरीद, लेकिन तूने उस संदेश को समझा ही नहीं, ये तेरी गलती है।”_

भगवान भी तुम्हें सिग्नल दे रहे हैं कि शस्त्र खरीदो, यह दुनिया एक जंगल है इसीलिए जंगली बनो।

क्या आप ने कभी सोचा है कि अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश क्यों है…? क्यों दुनिया के सारे देश मिलकर भी अमेरिका पर कब्जा नहीं कर सकते…?

वह इसीलिए, क्योंकि वहां प्रत्येक नागरिक के पास शस्त्र है। हिटलर ने कहा था अगर आप किसी देश पर कब्जा करना चाहते हो तो सबसे पहले उसके नागरिकों से शस्त्र छीन लो। शरिया भी यही कहता है। शरिया के अनुसार, किसी भी गैर-मुस्लिम को अपनी सुरक्षा के लिए शस्त्र रखने की इजाजत नहीं है।

ये सब संदेश हैं, ये सब सिग्नल हैं, सभी तुम्हें इशारा कर रहे हैं, कृपया इस संदेश को समझो और शस्त्र खरीदना प्रारंभ करो। भाईचारे और आदर्शवाद के संदेश बातों में ही अच्छे लगते हैं, वास्तविकता में नहीं! आज जो आप से हंस कर बात कर रहा है हो सकता है कल वही व्यक्ति आपको मौत के घाट लगा दे। इसीलिए शस्त्र खरीदो। इन्हें खरीदने और घर पर रखने के लिए किसी लाईसेन्स या कानूनी परमिशन की आवश्यकता नहीं है।

जेहादियों का पहला ध्यान शस्त्र खरीदने में ही रहता है। उसका पहला इन्वेस्टमेंट शस्त्र होता है। वो गाड़ी-बंगले में ध्यान नहीं देता क्योंकि हर जिहादी जानता है कि जिस दिन वो सामने वाले की कनपटी पर बंदूक रखेगा, सामने वाला हंसते-हंसते जर, जोरू, जमीन, जान, जेवर, गाड़ी, बंगला, उसकी झोली में डाल देगा। यही प्रकृति का नियम है। इसलिए ताकतवर बनो, शस्त्र खरीदो और जरूरत पड़ने पर शस्त्र के द्वारा राक्षसों का वध करो। इन्हें चलाना भी सीखो ताकि संकट के समय ये आपकी रक्षा कर सके।

ये न मिले तो नारियल काटने वाले चाकू , मिर्च पाउडर के पैकेट्स और हॉकी स्टिक तो रख ही सकते हैं क्योंकि आज आप जिहादियों और राक्षसों से घिरकर रह रहे हैं जिनका कोई भरोसा नहीं है कि कब आप पर आक्रमण कर हिंसक हो जाएं और आप घर में भगवान के नाम की माला जपते रह जाएं।

केवल दुर्गा और काली की आराधना करने से क्या होगा…? अगर उसका 10% भी अपने आचरण में उतार लिया तो जीवन बच सकता है।

बंगाल में मिथुन दा ने भी भाषण करते हुए अब मान लिया और खुलकर कह दिया कि आत्मरक्षा और बंगाल की रक्षा के लिये अब सब कुछ करना पड़ेगा, जो अब तक हमें मार काटकर भागीरथी में फेंक देने का दुस्साहस कर रहे थे अब हमें भी उन्हें काटकर उसी जमीन में फेंक देना होगा, जहाँ से वे आये हैं। हमारे पेड़ का एक फल तोड़ोगे तो हम तुम्हारे पेड़ के चार फल तोड़ेंगे। अब समय आ गया है जैसे को तैसा जवाब देने का।

इसलिए ‘किन्तु-परन्तु’ छोड़कर आत्मरक्षा के लिए शस्त्र खरीदो।

गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, इतना कहने मात्र से कोई लाभ नहीं। तिलक, जनेऊ धारण करने मात्र से कुछ नहीं होगा। तिलक और बिंदी तभी तक सुरक्षित है जब तक तुम्हारे पास शस्त्र है। इसलिए हे सनातनी पुत्रों! सबसे पहले शस्त्र खरीदना प्रारम्भ करो। अपने धर्म और राष्ट्र की ही नहीं बल्कि अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए शस्त्र खरीदना और उसे चलाना सीखना सबसे पहले आवश्यक है। उसके बाद ही आप कह सकेंगे कि

जयतु जयतु हिन्दूराष्टम

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