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राहुल से बड़ा पप्पू राजीव गांधी : आओ ढोंग्रेस मुक्त भारत बनाएं

*राहुल से बड़ा पप्पू राजीव गांधी*

भगवान का शुक्र है कि उस दौर में सोसल मीडिया नहीं था नहीं तो राहुल गांधी से भी बड़े पप्पू थे राजीव गांधी।

आज कुछ किस्से मै आपको बताने जा रहा हूं जिसे पढ़कर आप दंग रह जाएंगे कि राजीव गांधी जैसे लोग इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री भी थे..?

उनके पास सिर्फ एक ही योग्यता थी कि वो फिरोज गांधी के बेटे थे… उफ्फ माफ करना… वो पंडित नेहरू के नाती (नवासे) थे।

पूरा लेख तथ्यात्मक है अंत तक पढ़िए….
5-7 मिनट लगेगा… पर आज राजीव गांधी के बारे में ऐसी बातें जानेंगे कि जो आपको पहले से पता नहीं होगीं..
पढ़िए

राजीव गांधी कोई पढ़ाई लिखाई में अच्छे नहीं थे 5 सितारा दून स्कूल से स्कूलिंग के बाद 1961 में उन्हें इंजियनीरिंग पढ़ने लन्दन के ट्रिनिटी कॉलेज कैब्रिज भेजा गया,

यहीं पर राजीव एक छोटे से रेस्ट्रॉन्ट में वेट्रेस के तौर पर काम कर रही एडवीज अंतोनियो अल्बिना माइनो जिसे आज हम सोनिया गांधी के नाम से जानते हैं के सम्पर्क में आये,

1965 तक वो भोग विलास में डूबे रहे निरंतर फेल होते रहे और पास नहीं हो सके जिसके बाद कॉलेज ने राजीव को निकाल दिया,

फिर राजीव ने 1966 में लन्दन स्थित इम्पीरियल कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, किन्तु वहां भी फेल हुए,

उसी वर्ष राजीव की मां इंदिरा प्रधानमंत्री बनी और राजीव भारत आ गए, 1966 में दिल्ली फ्लाइंग क्लब ज्वाइन किया और प्लेन उड़ाना सीखा…

अब 1970 में प्रधानमंत्री इंदिरा ने जुगाड़ लगवा कर राजीव को सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया में कमर्शियल पायलट के तौर पर नौकरी में लगवा दिया,

1971 में भारत पाक युद्ध हुआ भारतीय सेना व् वायु सेना को लाजिस्टिक स्पोर्ट के लिए पायलट्स की आवश्यकता थी और एयर इंडिया के कमर्शियल पायलट्स को रसद व् हथियार एयर ड्राप करने हेतु बुलाया गया,

सारे के सारे पायलट्स तुरन्त युद्ध क्षेत्र में सेवाएं देने को आ गये सिवाय एक के और वो राजीव गांधी थे

जो डर के मारे सोनिया गांधी संग व् इटली के दूतावास में जा छिपे थे,

अगले 8 वर्षों तक राजीव के भाई संजीव ने उन्हें भोग विलास के सभी साधन उपलब्ध करवाए और खुद राजनीती में सक्रिय रह अपनी पकड़ मजबूत करते रहे..

1980 में संजीव का काम तमाम करवाये जाने के बाद राजीव राजनीती में आये…

1984 में इंदिरा गांधी को उनके अंगरक्षकों ने दोपहर में गोली मार दी, राजीव गांधी ने भावनाओं से ऊपर उठकर शोक संताप में समय लगाने के बजाय उसी दिन शाम को भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अपनी तशरीफ़ रख दी,

और कांग्रेसियों को सिखों का नरसंहार करने का आदेश दे डाला, कांग्रेसियों ने स्कूलों के रजिस्टरों और वोटर लिस्ट निकाल निकाल कर सिखों के घर खोजे और घरों में घुसकर हजारों सिखों को काटा..

महिलाओं से बलात्कार किया..

कई गर्भवती महिलाओं को जीवित ही जला दिया,

कांग्रेस नेताओं के पेट्रोल पंपों से तेल सप्पलाई किया गया सिखों को उनके बच्चो को उनकी सम्पत्तियों को फूंकने हेतु, सड़क चलते सिखों के गले में टायर डालकर जला दिया गया,

यहाँ तक कि राष्ट्रपति जैल सिंह को भी नहीं बख्शा गया और जब वो गाड़ी में थे तो उनपर भी कांग्रेसियों ने हमला किया,

गाड़ी के कांच तोड़ दिए गए,

दिल्ली में कांग्रेसियों का हिंसा का तांडव शुरू हुआ और शीघ्र ही ये देश के कोने कोने में फ़ैल गया

और राजीव गांधी ने देश भर में करीब 35000 निर्दोष सिखों को मौत के घाट उतरवाकर इंदिरा की मृत्यु का बदला लिया,

और बाद में राजीव गांधी ने उसे “बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है” वाला ब्यान देकर उसे न्यायोचित ठहरा दिया,

खैर अगले चुनाव हुए और जनता ने राजीव द्वारा करवाये सिख नरसंहार को महत्व दिए बिना राजीव को इंदिरा की सहानुभूति के नाम पर 411 सीटें देकर असीम शक्ति दे दी..

और राजीव् ने निरंकुश होकर उस बहुमत का दुरूपयोग किया,

1985 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शाहबानो को न्याय देकर मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक से बचने और गुजारे भत्ते का जो मार्ग खोला था उसपर आतातायी राजीव ने अपनी अक्ल पर पड़ा बड़ा वाला भीमकाय पत्थर दे मारा..

और अपुर्व बहुमत का प्रयोग कर मुस्लिम तुष्टिकरण का नया अध्याय लिखा और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पलटकर मुस्लिम महिलाओं को पुनः गुलाम बना दिया।

भोपाल गैस कांड हुआ हजारों निर्दोष लोगों के हत्यारे यूनियन कार्बाइड के मालिक वारेन एंडरसन को राजीव ने अमेरिकी सरकार से सौदेबाजी कर सुरक्षित अमरीका भेज दिया,

क्योंकि राजीव की मां इंदिरा के बॉयफ्रेंड यूनुस खान का लड़का आदिल शहरयार जो अमेरिकी जेल में बंद था और उसे छुड़वाने हेतु राजीव ने 30,000 निर्दोष भारतियों के हत्यारे एंडरसन को अमरीका भगा दिया

और आदिल शहरयार को छुड़वाकर भारत ले आया,

वैसे कहा जाता है कि संजीव गांधी उर्फ़ संजय गांधी यूनुस खान की ही संतान था,

सच्चाई तो राम ही जाने…

राजीव में न वैश्विक कूटनीति की समझ थी न सैन्य शक्ति के सदुपयोग की अतः अपनी सिमित विवेक क्षमता से ग्रस्त राजीव गांधी ने श्रीलंका में LTTE से लड़ने भारतीय फोर्सेज जबर्दस्ती भेज दीं

और इंडियन पीस कीपिंग फोर्सेस के 1400 सैनिक मरवाये और 3000 सैनिक घायल करवाये

हलांकि बाद में राजीव को थूककर चाटना पड़ा

और सैनिकों को वापस बुलाना पड़ा,

राजीव को अपनी उस मूर्खता के कारण ही श्रीलंका दौरे पर श्रीलंकाई सैनिक द्वारा कूटा गया था,

और वो पहले व् एकमात्र प्रधानमंत्री बने जिन्हें विदेशी धरती पर विदेशी सैनिक द्वारा लतियाया गया,

1989 में बोफोर्स का घोटाला खुला

जिसमे पता चला कि राजीव गांधी ने सोनिया के अत्यंत “करीबी मित्र” जिसे सोनिया अपने संग इटली से दहेज़ में लायी थी और जो सोनिया राजीव के घर में ही रहता था

उस ओटावियो कवात्रोची के द्वारा बोफोर्स सौदे में राजीव ने दलाली खायी थी,

राजनितिक नौटँकियां करने में भी राजीव किसी से पीछे न थे,

टीवी पर आने वाले रामायण सीरियल में राम का पात्र निभाने वाले अरुण गोविल को लेकर राजनितिक यात्राएं शुरू की

हिंदुओं को मुर्ख बनाकर उन्हें उनकी आस्था द्वारा विवश कर उनका वोट हथियाने हेतु,

1991 में Schweizer Illustrierte नामक स्विस मैगज़ीन ने काले धन वाले उन लोगों के नाम का खुलासा किया जिनका अवैध धन स्विट्ज़रलैंड के बैंकों में जमा था

और उसमें राजीव गांधी का भी नाम था…

मैगज़ीन ने खुलासा किया कि राजीव गांधी के 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक स्विट्ज़रलैंड के बैंक के एक अकाउंट में जमा हैं

1992 में टाइम्स ऑफ़ इंडिया और द हिन्दू ने खबरें छापीं की राजीव गांधी को सोवियत ख़ुफ़िया एजेंसी KGB से निरंतर धन मिलता था,

और रूस ने इस खबर की पुष्टि भी की थी और सफाई में कहा था कि सोवियत विचारधारा के हितों की रक्षा हेतु ये पैसे दिए जाते रहे हैं,

राजीव गांधी – घोटालों, दलाली और विदेशी पैसों से बनी “ईमानदार” छवि का असली सच!

1991 में स्विस मैगज़ीन “Schweizer Illustrierte” ने खुलासा किया कि राजीव गांधी के स्विस बैंक खातों में 2.5 बिलियन स्विस फ्रैंक (आज के हिसाब से हजारों करोड़ रुपये) जमा थे!
1992 में “टाइम्स ऑफ इंडिया” और “द हिंदू” ने रिपोर्ट छापी कि राजीव गांधी को सोवियत खुफिया एजेंसी KGB से फंडिंग मिलती थी।
रूस ने खुद माना कि “सोवियत हितों की रक्षा” के लिए कांग्रेस नेताओं को पैसे दिए जाते थे!
यानी राजीव गांधी सिर्फ भारतीय नहीं, बल्कि विदेशी ताकतों के इशारों पर काम कर रहे थे!

अब सोचिए, अगर किसी और नेता के विदेशी बैंक खातों में इतनी रकम पकड़ी जाती या किसी विदेशी एजेंसी से पैसे लेने का आरोप लगता, तो मीडिया और विपक्ष क्या करता?

लेकिन “तथाकथित ईमानदार” राजीव गांधी का नाम आते ही सब चुप हो गए!

*नई पीढ़ी वालों के लिए तो ये दब अविश्वसनीय होगा क्योंकि वे सोच भी नहीं सकेंगे कि भारत में कैसे बेवकूफ लोग रहे होंगे जिन्होंने ऐसे पप्पुओं को वोट देकर देश के शीर्ष पद पर बैठाया…!!!*

(यह लेख सफल प्रवक्ता और विद्वान राजनेता प्रो. सुधांशु की X पोस्ट से लिया गया है। ई साधुवाद के पात्र हैं जो इन तथ्यों को दुनिया के सामने उजागर किया है)

जिन्होंने ढोंग्रेस पार्टी को वोट देकर देश की हानि करवाई, वह एक तरह का पाप ही है जो नेहरू, इंदिरा, राजीव, सोनिया और अब राहुल के नाम पर देश की सत्ता उन्हें सौंपकर भारत की बर्बादी की कहानियां पैदा करने का महापाप किया है। सच्चाई जानकर उनके वंशज उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे बल्कि उन पर शर्मिंदा भी होंगे।

अब तो कर लो ढोंग्रेस मुक्त भारत !!!

होपधारा का अभियान

 

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