जज ने की UCC की खुलकर हिमायत – UnOfficial
पहली बार किसी उच्च पद पर बैठे हिन्दू अधिकारी ने हिंदुत्व का परिचय देते हुए इतनी साहसपूर्ण जुर्रत की है और एक अनोपचारिक कार्यक्रम में खुलकर समान नागरिक संहिता की वकालत की है।
ऐसी हिम्मत हर सनातनी हिन्दू को करनी चाहिए क्योंकि सरकारी कर्मचारी वो बाद में हैं, पहले हिन्दू सनातनी है।
हम बात कर रहे हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिटिंग जज जस्टिस शेखर यादव की, जो रविवार को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम में वो यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोल रहे थे और बोलते-बोलते कुछ ऐसा बोल गए कि इस पर दिल्ली तक राजनीतिक क्लेश हो गया. क्लेश का कारण उनके 33 मिनट के भाषण के ये पांच शब्द थे, इनमें पहला था कठमुल्ला, दूसरा हलाला. तीसरा तीन तलाक, चौथा चार शादी और पांचवां शब्द था बहुसंख्यक.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
जस्टिस शेखर यादव के बयान पर बवाल इसलिए ज्यादा है, क्योंकि वर्तमान में वो जज की कुर्सी पर बैठे हैं. हंगामा इतना बढ़ चुका है कि जस्टिस शेखर यादव के बयान पर आज सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला विचाराधीन है, हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है. इससे पहले कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स यानी CJAR ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बाकायदा चिट्ठी लिखकर जस्टिस शेखर यादव की शिकायत की थी. अखिल भारतीय वकील संघ भी राष्ट्रपति और देश के मुख्य न्यायधीश को खत लिख कर उन पर कार्रवाई की मांग कर चुका है.
अब जानिये कि जज साहब ने और क्या क्या कहा ?
“ये देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा…4 बीबी, हलाला अस्वीकार्य” इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने मुस्लिमों की दकियानूसी पर उठाए प्रश्न….
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने कहा है कि मुस्लिमों की हलाला, तीन तलाक और 4 बीवियाँ रखने की प्रथाएँ अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा है कि यह नहीं चलाने दिया जा सकता। जस्टिस शेखर यादव ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता (UCC) जल्द ही एक सच्चाई होगी। उन्होंने मुस्लिम समाज में चल रही रूढ़िवादिता और इस पर लोगों के ना बोलने पर प्रश्न खड़े किए हैं। जस्टिस शेखर यादव के इस संबोधन को लेकर लिबरल जमात हंगामा मचा रही है।
जस्टिस शेखर यादव ने यह वक्तव्य प्रयागराज में विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में दिया है। यह कार्यक्रम VHP की लीगल सेल ने रविवार (8 दिसम्बर, 2024) को आयोजित करवाया था। जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। यही कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि मैं हाईकोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहा हूँ। दरअसल, कानून ही बहुमत के हिसाब से काम करता है।”
जस्टिस शेखर यादव ने इसके बाद मुस्लिमों में फैली रूढ़िवादिता और दकियानूसी को लेकर प्रश्न खड़े किए। उन्होंने कहा, “हमारे हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक कुरीतियाँ थीं, राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। लेकिन जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से जुड़े मुद्दों जैसी सामाजिक कुरीतियों की बात आती है, तब उनके पास इनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत नहीं थी।”
VHP के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की तरफ से भी यह प्रथाएँ खत्म करने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा, “आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी का दर्जा दिया गया है। आप 4 बीवियाँ रखने, हलाला करने या तीन तलाक़ का अधिकार नहीं रख सकते। आप कहते हैं, हमें ‘तीन तलाक’ कहने का अधिकार है, और महिलाओं को भरण-पोषण ना देने का अधिकार है।”
जस्टिस शेखर यादव ने कहा, ”इस तरह से कोई अधिकार नहीं चल पाएगा। UCC कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसकी वकालत VHP, RSS या हिंदू धर्म करता हो। देश का सुप्रीम कोर्ट भी ऐसी ही बात करता है…मैं शपथ ले रहा हूँ कि यह देश UCC कानून ज़रूर लाएगा, और बहुत जल्द लाएगा।” जस्टिस शेखर यादव ने इस बात को लेकर भी प्रश्न खड़े किए गए कि मुस्लिम तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों को अपना पर्सनल लॉ बताते हैं और कानून से बचते हैं।
उन्होंने कहा, “अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी इजाजत देता है, तो ये अस्वीकार्य है। एक महिला को भरण-पोषण मिलेगा, दो विवाह की इजाजत नहीं होगी, और एक आदमी की सिर्फ़ एक पत्नी होगी, चार पत्नियाँ नहीं… अगर एक बहन को भरण-पोषण मिलता है और दूसरी को नहीं, तो इससे भेदभाव पैदा होता है, जो संविधान के खिलाफ है।” जस्टिस शेखर यादव ने इस दौरान कहा कि सिर्फ *गंगा में डुबकी लगाने और माथे पर चंदन लगाने वाला ही हिन्दू नहीं है बल्कि भारतवर्ष को अपनी माँ मानने वाला भी हिन्दू है।
जस्टिस शेखर यादव के इस पूरे वक्तव्य पर अब लिबरल गैंग में खलबली मच गई है। तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद ने इस मामले में प्रश्न खड़े करते हुए CJI संजीव खन्ना से माँग की है कि वह इस मामले का स्वतः संज्ञान ले।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी उनके इस वक्तव्यों पर परेशान हैं। उन्होंने प्रश्न खड़े किए हैं कि आखिर इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जज VHP के किसी कार्यक्रम में क्यों गया।
द हिन्दू और द कारवाँ जैसे वामपंथी संस्थानों के पत्रकारों ने भी शेखर यादव के खिलाफ एक्शन की माँग की है।
33 मिनट के भाषण में जस्टिस यादव ने ऐसा क्या बोला, जिस पर मच गया बवाल?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव रविवार को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम में वो यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोल रहे थे और बोलते-बोलते कुछ ऐसा बोल गए कि इस पर दिल्ली तक राजनीतिक क्लेश हो गया.
यूपी में हाईकोर्ट के जस्टिस ने एक ऐसा बयान दे दिया है जो दो दिन से सियासी गलियारों में घमासान बना हुआ है. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस बयान के वायरल होने के बाद. एक पक्ष को इसमें सांप्रदायिक बौद्धिकता वाले जहर की मात्रा ज्यादा दिख रही है. तो दूसरा पक्ष इसमें बहुसंख्यकवाद का नैरेटिव देखकर खुश है और बयान पर बढ़ते विवाद को फिजूल बताने में जुटा है.
हम बात कर रहे हैं इलाहाबाद हाईकोर्ट में सिटिंग जज जस्टिस शेखर यादव की, जो रविवार को विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इस कार्यक्रम में वो यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोल रहे थे और बोलते-बोलते कुछ ऐसा बोल गए कि इस पर दिल्ली तक राजनीतिक क्लेश हो गया. क्लेश का कारण उनके 33 मिनट के भाषण के ये पांच शब्द थे, इनमें पहला था कठमुल्ला, दूसरा हलाला. तीसरा तीन तलाक, चौथा चार शादी और पांचवां शब्द था बहुसंख्यक.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
जस्टिस शेखर यादव के बयान पर बवाल इसलिए ज्यादा है, क्योंकि वर्तमान में वो जज की कुर्सी पर बैठे हैं. हंगामा इतना बढ़ चुका है कि जस्टिस शेखर यादव के बयान पर आज सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला विचाराधीन है, हाईकोर्ट से विस्तृत जानकारी मांगी गई है. इससे पहले कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स यानी CJAR ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बाकायदा चिट्ठी लिखकर जस्टिस शेखर यादव की शिकायत की थी. अखिल भारतीय वकील संघ भी राष्ट्रपति और देश के मुख्य न्यायधीश को खत लिख कर उन पर कार्रवाई की मांग कर चुका है.
जस्टिस शेखर यादव के संबोधन के अंश जिन पर छिड़ा संग्राम
1- जस्टिस शेखर यादव ने अपने संबोधन में कहा था कि- कठमुल्ला जिसे कह लीजिए आप शब्द गलत है, लेकिन कहने में गुरेज़ नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं. जनता को भड़काने वाले लोग हैं देश आगे ना बढ़े इस प्रकार के लोग हैं उनसे सावधान रहने की जरुरत है.
2- ये कहने में बिल्कुल गुरेज़ नहीं है कि ये हिन्दुस्तान है. हिन्दुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. यही क़ानून है. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जज होकर ऐसा बोल रहे हैं. क़ानून तो भैया बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है.
3- देश एक है, संविधान एक है, तो कानून एक क्यों नहीं, ये कानून बनाकर आपके शरियत के खिलाफ हो जाएगा, आपके इस्लाम के खिलाफ हो जाएगा, कुरान के खिलाफ हो जाएगा, ये भ्रम है आपके अंदर.
4- जिस नारी को हमारे यहां देवी का दर्जा दिया जाता है, आप उसका निरादर नहीं कर सकते हैं, आप यह नहीं कह सकते हैं कि हमारे यहां तो चार पत्नियां रखने का अधिकार है, हमारे यहां तो हलाला का अधिकार है, हमारे यहां तो तीन तलाक़ बोलने का अधिकार है. ये सब नहीं चलने वाला है.
जस्टिस यादव ने ये भी कहा
जस्टिस यादव ने इन विवादित शब्दों के अलावा अपनी स्पीच में ये भी कहा था कि हिंदू होने के नाते हम अपने धर्म का सम्मान करते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हमारे मन में अन्य धर्म या आस्था के प्रति कोई दुर्भावना है. आप एक ऐसी महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिसे हिंदू शास्त्रों और वेदों में देवी माना जाता है. हिंदू समाज ने सती और बाल विवाह समेत कई बुरी प्रथाओं से छुटकारा पा लिया है, इसी तरह से हर धर्म को खुद ही सभी बुरी प्रथाओं से दूर रहना चाहिए. हालांकि जस्टिस यादव की इन बातों पर उतनी चर्चा नहीं हो रही है, जितनी मुस्लिम समुदाय के लिए इस्तेमाल हुए शब्दों को लेकर हो रही है..
जस्टिस यादव पर किसने क्या कहा?
जस्टिस यादव के बयान पर राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील कपिल सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि-‘ये भारत को तोड़ने वाला बयान है. हम जज के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने X पर लिखा- ”एक जज का ऐसा भाषण देश की कॉलेजियम प्रणाली पर आरोप लगाता है और न्यायालयों की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है.” सीपीएम नेता वृंदा करात ने जस्टिस शेखर यादव के भाषण को नफरती कहा और इसे संविधान पर हमला बताया. वहीं बीजेपी नेता शलभ मणि त्रिपाणी ने जस्टिस शेखर यादव के बयान का समर्थन किया और कहा कि ‘सच बोलने के लिए उन्हें सैल्यूट है.’
इससे पहले भी सुर्खियों में रह चुके हैं जस्टिस यादव
जस्टिस यादव के ताजा बयान सियासी आग भले ही अब भड़की है, लेकिन उनके बयानों का फ्लैशबैक भी देखना चाहिए. जस्टिस यादव ने इससे पहले कहा था कि- ”राम इस देश के हर नागरिक के दिल में बसते हैं, राम भारत की आत्मा हैं और इस देश की संस्कृति राम के बिना अधूरी है. ”
जस्टिस शेखर यादव ने ये भी कहा था कि ”भगवान राम और कृष्ण के सम्मान के लिए कानून बनाना चाहिए और देश के सभी स्कूलों में इसे अनिवार्य विषय बनाकर बच्चों को शिक्षित किया जाना चाहिए।”
एक बार उन्होंने गाय पर भी टिप्पणी की थी, तब कहा था कि – ”गायों को मौलिक अधिकार के दायरे में शामिल करने के लिए सरकार को कानून लाना चाहिए और गायों को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए.”
– यूपी में गोहत्या निवारण अधिनियम के तहत एक आरोपी की जमानत खारिज करते हुए उन्होंने कहा था कि ”गाय भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है और उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए.’
कौन हैं जस्टिस शेखर यादव
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर यादव इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रहे हैं. 1988 में कानून की डिग्री के साथ स्नातक किया. 1990 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया. यूपी सरकार के लिए अतिरिक्त अधिवक्ता की जिम्मेदारी निभाई. यूपी सरकार और भारत सरकार को कानूनी सेवाएं दीं. 12 दिसंबर 2019 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. यानी अब तक जस्टिस शेखर यादव का करियर बतौर जज 5 वर्षों का है. 26 मार्च 2021 में उन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और, 15 अप्रैल 2026 में जस्टिस शेखर यादव रिटायर हो जाएंगे.
हम तो कहेंगे कि आप जल्दी वीआरएस लेकर सनातनी हिंदुओं को जगाने के अभियान में लग जाओ और विभिन्न जातियों और क्षेत्रों में बंटे हिंदुओं खासकर सभी यदुवंशियों को हिंदुत्व की मुख्य धारा से जोड़कर सभी हिंदुओं को एकता के सूत्र में बांधने का अहम कार्य करो ताकि यादव से मुल्ले बने सपाइयों को भी सद्बुद्धि आये और देश हिन्दू राष्ट्र बन सके।
रही बात उनके बेबाक भाषण पर बवाल की जिस पर विपक्षी पक्षी आग बबूला होकर जज साहब पर कार्यवाही की माँग कर रहे हैं तो ये सब वामी, ढोंगी, आपिये, सपाइये ऐसी हिमाकत कर सकते हैं क्योंकि इन्हें पता है कि सनातनी हिन्दू तो चुप रहेंगे, कोई इन जज साहब के समर्थन में जुलूस नहीं निकालने वाला, न कोई खुलकर उनका समर्थन करेगा, किसी हिन्दू को क्या पड़ी है, कौन पचड़े में पड़ेगा, कोई कोई तो उन्हें सेक्युलर का पाठ पढ़ाने को मुँह खोल भी लेगा, परन्तु राष्ट्र हित, समाज हित और हिन्दू सनातन के हित में कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करेगा। यही कायरता और स्वार्थपरता ही हिंदुओं की कमजोरी है, इसीलिए, सब बंटे हुए हैं।
जिस दिन सारे हिन्दू सनातनी एक स्वर में बहुसंख्यकों की आवाज को देश की आवाज़ बनाकर गूंजना शुरू कर देंगे, तो एक नहीं, सारे सुप्रीम कोर्ट के जज भी उसी स्वर में राग अलापने लगेंगे।
विश्वास न हो तो आजमाकर देख लो ! सारे हिन्दू सनातनी एक होकर तो देखो !!
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