नवरात्रि का महत्व – मनोकामना की पूर्ति

*✳️ नवरात्रि का महत्व✳️*
नवरात्रि के 9 दिन देवी शक्ति की साधना का श्रेष्ठ काल माने जाते हैं।
साधक चाहे व्रत करे, जप करे, हवन करे या कुलदेवी की विशेष पूजा — सबका अतुलनीय फल मिलता है।
यह 9 दिन सिद्धि प्राप्ति, मनोकामना पूर्ति और नकारात्मकता दूर करने के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं।
नवरात्रि स्थापना और प्रथम दिन की विधि (घट स्थापना)
1. प्रातः स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
2. पूजा स्थान पर मिट्टी (बालू या खेत की मिट्टी) डालकर उसमें जौ/गेंहूँ बो दें।इसे जवारा/कलश स्थापना कहते हैं।
3. तांबे/पीतल के कलश में गंगा जल, सुपारी, सिक्का, अक्षत रखें और आम/अशोक के पत्ते लगाएँ। ऊपर नारियल रखें और लाल चुनरी बाँध दें।
4. इस कलश को मिट्टी के बीच स्थापित करें।
5. दीपक जलाएँ और दुर्गा सप्तशती/देवी कवच/अथवा सरल मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जप करें।
9 दिनों का नियम और सेवा
प्रतिदिन प्रातः और सायं दीपक जलाएँ (घी का या तिल के तेल का)।
देवी को लाल/पीले पुष्प, नैवेद्य, फल अर्पित करें।
जो भी साधना संकल्प लें, उसे पूरे 9 दिन नियम से निभाएँ।
व्रत रखना चाहें तो केवल फलाहार, दूध, खिचड़ी, या सात्विक भोजन करें।
नौवें दिन कन्या पूजन और भोग लगाकर व्रत का समापन करें।
यदि कुलदेवी की साधना करनी है
नवरात्रि में कुलदेवी (जैसे आपकी माँ कालिका) की पूजा अत्यंत फलदायी होती है।
प्रतिदिन देवी के सामने धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
कुलदेवी का बीज मंत्र या स्तुति का 108 बार जप करें।
रात को 11 बजे के बाद या प्रातः ब्रह्ममुहूर्त साधना विशेष फल देती है।
विशेष साधना / साधक क्या करें
मां भगवती के बीज मंत्र का 1, 3, 5 या 11 माला जप करें।
उदाहरण: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
दुर्गा सप्तशती पाठ नवरात्रि में अत्यंत शक्तिशाली है।
व्यवसाय/रोकावट दूर करने हेतु:
श्री सूक्त या लक्ष्मी कवच का पाठ करें।
ऋण मुक्ति हेतु:
दुर्गा कवच और हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करें।
साधकों के लिए कुछ नियम
1. ब्रह्मचर्य और सात्विकता का पालन करें।
2. नकारात्मक विचार, क्रोध, मद्य आदि से दूर रहें।
3. घर का वातावरण शुद्ध और पवित्र रखें।
4. भोजन में लहसुन-प्याज न लें
यह लेख अभी अधूरा है। इसमें और नई बातें जुड़ने वाली है, इसलिए पुनः आकर पढ़ें नवरात्रि समापन तक