राम नाम से कैसे जुड़कर सुखी जीवन का आनंद लें

एक प्रसिद्ध भजन की पंक्तियां हैं
भज मन राम नाम सुखदाई, राम नाम के दो अक्षर में सब सुख शांति समाई
कलयुग में राम का नाम क्यों है श्रीराम से भी बढ़कर?
कलयुग केवल नाम अधारा, सिमर सिमर नर उतरहिं पारा
राम से बड़ा राम का नाम
राम नाम के दो अक्षर में ही पूरी रामायण है और पूरा शास्त्र है। पुराणों में लिखा है कि ज्ञान, कर्म, ध्यान, योग, तप आदि सभी कलयुग में व्यर्थ सिद्ध होंगे परंतु राम नाम का जप ही लोगों को भवसागर से पार ले जाने वाला सिद्ध होगा। वेद, पुराण और अन्य शास्त्रों से भी बढ़कर है दो अक्षरों वाला राम का नाम। राम नाम के दो सुंदर अक्षर सावन-भादो के महीने हैं। इस नाम की ही महिमा है कि जिसे सभी देवी और देवता जपते रहते हैं।
यही नहीं जिस नाम की महिमा का वर्णन शिवजी से सुनकर माता पार्वती भी उनका नाम जप करती हैं। जिनके सेवार्थ श्री शिवजी ने हनुमानजी का अवतार लेकर वे राम का नाम ही जपते रहते हैं। ऐसे प्रभु श्री राम का नाम लिखना, बोलना भवसागर से पार तो लगाता ही है साथ ही यह भक्तों को समस्त प्रकार के दैहिक, दैविक एवं भौतिक तापों से मुक्ति प्रदान करता है।
रामचरित मानस में तुलसीदासजी ने राम नाम की महिमा का कई जगहों पर वर्णन किया है-
”रामनाम कि औषधि खरी नियत से खाय,
अंगरोग व्यापे नहीं महारोग मिट जाये।’
*•अर्थात:-* राम नाम का जप एक ऐसी औषधि के समान है, जिसे अगर सच्चे हृदय से जपा जाए तो सभी आदि-व्याधि दूर हो जाती हैं, मन को परम शांति मिलती है।
राम नाम की महिमा का प्रसंग:-
यह तो सभी जानते हैं कि रामसेतु के निर्माण के समय हर पत्थर पर राम नाम लिखा जा रहा था और हर कोई राम नाम का जयघोष कर रहा था जिसके चलते राम का काम बहुत ही आसान हो गया। राम के नाम लिखे पत्थर जब तेरने लगे तो प्रभु श्रीराम भी आश्चर्य में पड़कर सोचने लगे।
उन्होंने सोचा की जब मेरे नाम लिखे पत्थर तैरने लगे है तो यदि मैं कोई पत्थर फेंकता हूं समुद्र में तो उसे तेरना चाहिए। मन में यही विचार करके उन्होंने भी एक पत्थर उठा लिया जिस पर राम का नाम नहीं लिथा था और उसे समुद्र में फेंक दिया, लेकिन वह पत्थर डूब गया। भगवान श्री राम आश्चर्य में पड़ गए कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
दूर खड़े हनुमान ने यह सब देख रहे थे और तब उन्होंने प्रभु श्रीराम के मान की बात जानकर उनके पास पहुंचे और कहने लगे कि हे प्रभु! आप किस दुविधा में हैं?
इस पर श्री राम जी कहने लगे कि हे हनुमान! मेरे नाम के पत्थर तैर रहे हैं लेकिन जब मैंने अपने हाथ से वह पत्थर फेंका तो वह डूब गया।
प्रभु की इस भोलेपन से कही गई बात पर बल बुद्धि के दाता हनुमानजी ने कहा कि हे प्रभु! आपके नाम को धारण कर तो सभी अपने जीवन को पार लगा सकते हैं, परंतु जिसे आपन स्वयं त्याग रहे हैं, उसे डूबने से कोई कैसे बचा सकता है?
राम के नाम में इतनी शक्ति है कि उनके नाम का जप करते हुए ऋषि बाल्मीकि और संत तुलसीदास अज्ञानी से महान ज्ञानी बने। उसके बाद उन्होंने रामायण और रामचरितमानस ग्रंथों की रचना की। शबरी ने भगवान का नाम लेकर उनको इतना मजबूर कर दिया कि वनवास के दौरान उसको स्वयं मिलने के लिए कुटिया पंहुचे। राम का ही नाम सत्य है।
महामंत्र जोइ जपत महेसू। कासीं मुकुति हेतु उपदेसू॥
महिमा जासु जान गनराऊ। प्रथम पूजिअत नाम प्रभाऊ॥2॥
*भावार्थ:-* जो महामंत्र है, जिसे महेश्वर श्री शिवजी जपते हैं और उनके द्वारा जिसका उपदेश काशी में मुक्ति का कारण है तथा जिसकी महिमा को गणेशजी जानते हैं, जो इस ‘राम’ नाम के प्रभाव से ही सबसे पहले पूजे जाते हैं॥2॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
जान आदिकबि नाम प्रतापू। भयउ सुद्ध करि उलटा जापू॥
सहस नाम सम सुनि सिव बानी। जपि जेईं पिय संग भवानी॥3॥
*•भावार्थ:-* आदिकवि श्री वाल्मीकिजी रामनाम के प्रताप को जानते हैं, जो उल्टा नाम (‘मरा’, ‘मरा’) जपकर पवित्र हो गए। श्री शिवजी के इस वचन को सुनकर कि एक राम-नाम सहस्र नाम के समान है, पार्वतीजी सदा अपने पति (श्री शिवजी) के साथ राम-नाम का जप करती रहती हैं॥3॥- रामचरित मानस बालकाण्ड
होइहै वही जो राम रचि राखा।
को करि तरक बढ़ावही साखा।।
‘राम’ सिर्फ एक नाम नहीं हैं और न ही सिर्फ एक मानव। राम परम शक्ति हैं। प्रभु श्रीराम के द्रोहियों को शायद ही यह मालूम है कि वे अपने आसपास नर्क का निर्माण कर रहे हैं। इसीलिए यह चिंता छोड़ दो कि कौन प्रभु श्रीराम का अपमान करता है और कौन सुनता है। कौन जपता है और कौन नहीं जपता है।
1. राम से भी बड़ा राम का नाम:- कहते हैं कि प्रभु श्रीरा राम का नाम राम से भी बड़ा है। राम राम जपने से कई लोगों को मोक्ष प्राप्त हो गया। राम एक महामंत्र है, जिसे हनुमान ही नहीं भगवान शिव भी जपते हैं। राम से पहले भी राम का नाम था। प्राचीन काल में राम ईश्वर के लिए संबोधित होता था।
2. राम या मार:– राम का उल्टा होता है म, अ, र अर्थात मार। मार बौद्ध धर्म का शब्द है। मार का अर्थ है- इंद्रियों के सुख में ही रत रहने वाला और दूसरा आंधी या तूफान। राम को छोड़कर जो व्यक्ति अन्य विषयों में मन को रमाता है, मार उसे वैसे ही गिरा देती है, जैसे सूखे वृक्षों को आंधियां।
3. राम नाम कहने का अर्थ:-
1. एक बार राम कहा तो संबोधन हुआ। राजस्थान में कहते हैं राम सा। आपके सारे दुःख हरने वाला सिर्फ एकमात्र नाम है- ‘हे राम।’
2. दो बार राम कहा तो अभिवादन हुआ। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कहते हैं राम राम।
3. तीन बार राम कहा तो संवेदना हुई। जैसे ‘ये क्या हुआ राम राम राम।’
4. चार बार राम कहा तो भजन हुआ।
4. तारणहार राम का नाम:- राम का नाम जपने वाले कई संत और कवि हुए हैं। जैसे कबीरदास, तुलसीदास, रामानंद, नाभादास, स्वामी अग्रदास, केशवदास, रैदास या रविदास, दादूदयाल, सुंदरदास, मलूकदास, समर्थ रामदास, स्वामी सत्यानन्द महाराज, प्रेमजी महाराज, पिताजी हंसराज जी, डॉ विश्वामित्र आदि। श्रीराम-श्रीराम जपते हुए असंख्य साधु-संत मुक्ति को प्राप्त हो गए हैं।
5. जीवन रक्षक नाम:- ऋषिश्री डॉ वरदानंद महाराज आधुनिक जीवन में राम नाम की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि “प्रभु श्रीराम नाम के उच्चारण से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जो लोग ध्वनि विज्ञान से परिचित हैं वे जानते हैं कि *’राम’* शब्द की महिमा अपरम्पार है। जब हम *•’राम’* कहते हैं तो हवा या रेत पर एक विशेष आकृति का निर्माण होता है। उसी तरह चित्त में भी विशेष लय आने लगती है। जब व्यक्ति लगातार *•’राम’* जप करता रहता है तो रोम-रोम में प्रभु श्रीराम बस जाते हैं। उसके आसपास सुरक्षा का एक आभा मंडल बनना तय समझो। यह औरा जीवन में सुरक्षा कवच का कार्य करता है। प्रभु श्रीराम के नाम का असर जबरदस्त होता है।”
इस प्रकार राम नाम की महिमा अनन्त है जिसे शब्दों, लेखों, कथाओं, ग्रन्थों में बांधा नहीं जा सकता । तुलसीदास जी की एक चौपाई इस विषय में सुप्रसिध्द है। *।।चौपाई।।*
हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥
*•भावार्थ-*
हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते..!!
कैसे जुड़े राम नाम से?
इस कलिकाल में राम नाम से जुड़ना ही जीवन को सार्थक बनाना है। स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा प्रतिपादित अमृतवाणी सत्संग पूरे विश्व में अन्यान्य हजारों स्थानों पर होते हैं जहाँ कोई चंदा चढ़ावा दिखावा प्रपंच नहीं होता। आप अपने आसपास जानकारी करके उनसे जुड़िये और अपने जीवन घर परिवार में राम नाम का आशीर्वाद और राम-कृपा का प्रसाद पाइए।
विश्वप्रथम रामशक्तिपीठ का निर्माण
- ऋषिश्री डॉ वरदानंद जी महाराज की संकल्पना और मार्गदर्शन में विश्व में पहली बार एक ऐसे रामनाम शक्तिपीठ का निर्माण हो रहा है जो अद्वितीय और अद्भुत है और इस कलयुग में जनमानस की सभी समस्याओं के समाधान में शक्तिवर्धक होगा। आप भी इससे जुड़कर राम नाम के पुण्य प्रताप और कृपा प्रसाद के पात्र बन सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क सूत्र : व्हाट्सएप 8828541542 पर अपना नाम, आयु, पता, मोबाइल, व्यवसाय की जानकारी लिख भेजकर सदस्यता का QR कोड प्राप्त कर सकते हैं।
जो लोग पहले से ही राम नाम से जुड़ें हैं, वे भाग्यशाली और जिन्हें यह आलेख पसंद आया हो, वे कमेंट में एक बार राम का नाम अवश्य लिखें।
जय जय राम जय सीताराम