क्या आप महाकुंभ मेले में आ रहे हैं? तो ये महत्वपूर्ण सूचनाएं आपके लिए

महाकुंभ में आ रहे लोगों के सूचनार्थ,
कृपया सभी लोगों तक पहुंचाए। इसे पूरा पढ़ने के बाद न केवल आपकी कुम्भ मेले जाने की ललक कई गुना बढ़ जाएगी बल्कि आपकी प्रयागराज यात्रा सरल और सुगम हो जाएगी।
पहुंचे कैसे?
अगर आप प्रयागराज आ रहे हैं तो कुछ स्थान जिनके नाम आपको पता होने चाहिए।
चुंगी : यह आखिरी स्थान है जहां तक ऑटो जा सकती है। मेला क्षेत्र यहां से लगभग 3 km है। शाही स्नान के दिन ऑटो यहां तक नहीं आती।
बैंक रोड : यह प्रयाग जंक्शन के सबसे पास की जगह है। यहां से आपको कानपुर, लखनऊ, बलिया, गोरखपुर, आदि की बसें भी मिलेंगी। शाही स्नान के दिन यहां से आगे ऑटो जाने की अनुमति नहीं है।
सिविल लाइंस : यहां से आपको रोडवेज बसें मिलेंगी सभी स्थानों के लिए।
बालसन चौराहा : इसके पास ही भरद्वाज पार्क और आश्रम है, सिविल लाइंस की तरफ से आपको यहां तक कि ऑटो मिल सकती है।
आपके लिए 5 मुख्य रेलवे स्टेशन हैं जहां आपको उतारा जाएगा।
– प्रयागराज जंक्शन
यहां उतरने के बाद आप सिविल लाइंस जा सकते हैं और वहां से आपको बालसन चौराहे तक की ऑटो मिल सकती है। आपको सरकारी बस भी मिल सकती है लेकिन फ्री होने के कारण उसमें भीड़ अधिक रहेगी।
-प्रयागराज संगम
यह मेला क्षेत्र के सबसे नजदीक का स्टेशन है, यहां से मेला क्षेत्र मात्र 1km से थोड़ा अधिक पड़ेगा।
ध्यान रहे शाही स्नान और कुछ विशेष दिनों पर यह स्टेशन बंद रहेगा।
-प्रयाग जंक्शन
यह स्टेशन लगभग 5km है अगर आप यहां उतरते हैं तो यहां से आपको पैदल ही मेला क्षेत्र तक जाना पड़ेगा, रात्रि के समय आपको ऑटो मिल सकती है।
– फाफामऊ
यह स्टेशन प्रयाग जंक्शन से पहले पड़ता है, यहां से उतरकर आप बैंक रोड जा सकते हैं और फिर वहां से मेला क्षेत्र में पैदल जाना पड़ेगा।
-प्रयागराज छिवकी
यहां से आपको बालसन चौराहे की तरफ आना पड़ेगा। बाहर निकलते ही ऑटो मिल जाएगा।
आप बैंक रोड से सीधा पैदल जा सकते हैं या फिर सिविल लाइंस से ऑटो पकड़ कर चुंगी या बैंक रोड जा सकते हैं।
रहने की व्यवस्था
आपको स्टेशन के बाहर बहुत सारे होटल और लॉज मिल जाएंगे, इनका किराया थोड़ा ज्यादा होगा अगर आपका बजट कम है तो आपको डोरमेट्री मिल जाएगी, जिसका किराया आपको 300-1000 तक रहेगा। कई सारे रैन बसेरा भी हैं जो अलग अलग संस्थाओं द्वारा लगाए गए हैं। ये सब आपको मेला क्षेत्र में ही मिलेंगे।
खाने की व्यवस्था
प्रयाग आने के बाद आपको खाने के लिए नहीं सोचना पड़ेगा, आप बैंक रोड से या बालसन चौराहे से आगे निकलेंगे तो हर 500 मीटर पर एक भंडारा मिलेगा। कई जगह कचौड़ी सब्जी, छोला चावल, खिचड़ी आदि आपको मिलेंगी
इसके अतिरिक्त आप @Swiggy और @zomato से भी ऑर्डर कर सकते हैं। (No paid promotion) लेकिन इनकी डेलिवरी चुंगी क्षेत्र के उस तरफ नहीं होगी।
अगर आप फाफामऊ उतरते हैं तो आप गंगा जी के किनारे बनी रोड से भी मेले में जा सकते हैं। इसपर भीड़ कम रहेगी लेकिन ये रास्ता थोड़ा लंबा पड़ेगा। इसके किनारे तीन प्रमुख मंदिर हैं।
इसी रास्ते पर आपको नारायणी आश्रम और नागवासुकी मंदिर भी मिलेंगे।
इन बातों का विशेष ध्यान रखें।
– बहुत छोटे बच्चों को लेकर न आएं।
– आपको पैदल चलना पड़ेगा इसलिए बहुत ज्यादा सामान लेकर न आएं।
– अपने फोन और पर्स का विशेष ध्यान रखें।
– सभी लोगों को एक फोन नंबर लिख कर अवश्य दें।
– आपके आस पास कई पुलिस वाले रहेंगे। अगर कोई खो जाता है तो जाकर अनाउंसमेंट करवाएं। इसमें पुलिस वाले आपकी सहायता करेंगे।
– मेला क्षेत्र में एक हॉस्पिटल भी बनाया गया है, यदि आवश्यकता हो तो किसी पुलिस वाले से संपर्क करें।
– नहाते वक्त फोन अपने सामान का विशेष ध्यान रखें क्योंकि उस समय संगम के किनारे भीड़ अधिक हो जाती है और इसलिए दिक्कत हो सकती है।
यहां आप रास्ता नहीं भटकेंगे बस भीड़ जिस तरफ जा रही हो आप भी उसी तरफ चलते रहें।
बाकी भगवान पर भरोसा रखिए, प्रयागराज आइए, कुंभ नहाइए।
पुनश्चः और अधिक जानकारी
महाकुंभ मेला के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी:
1. **पैदल यात्रा**: मेले में आपको 4-6 किलोमीटर तक अपना सामान लेकर पैदल चलना ही पड़ेगा। यदि आप ट्रेन से आएंगे, तो यह दूरी लगभग 10 किलोमीटर हो सकती है।
2. **तंबू की व्यवस्था**: केवल तंबू उपलब्ध हैं, जिनका किराया बिना किसी सुविधा के ₹10,000 प्रति दिन तक हो सकता है।
3. **शाही स्नान के दिन ना आएं**: शाही स्नान के दिन भीड़ अत्यधिक होती है। यातायात को व्यवस्थित करने के लिए रास्ते किसी भी दिशा में डायवर्ट कर दिए जाते हैं।
4. **यातायात सुविधाएं**: मेले के दौरान शहर में ऑटो, ई-रिक्शा, या ओला जैसी सेवाएं उपलब्ध नहीं होतीं।
5. **सामान की मात्रा सीमित रखें**: केवल उतना ही सामान लाएं, जितना आप पूरे समय आसानी से ले जा सकते हैं।
6. **बच्चों के साथ यात्रा ना करें**: छोटे बच्चों को साथ लाना अत्यधिक कठिनाईपूर्ण हो सकता है।
7. **घुमने-खोने की स्थिति में**: खोने या गुम होने पर मेले में 10 अलग-अलग टावर हैं, जहां से घोषणा करवाई जाती है। जैसे मुख्य संगम क्षेत्र में टावर नंबर 1 से।
8. **भोजन की व्यवस्था**: मेले में बहुत सारे भंडारे लगे हुए हैं, जहां विभिन्न प्रकार की रेसिपी उपलब्ध हैं। खाने पीने में व्यर्थ खर्च करने की अपेक्षा सनातन प्रदर्शनी देखने, ज्योतिर्लिंगों की झांकी का अवलोकन, सनातन साहित्य और धार्मिक सामग्री आदि में विनियोग करें।
9. **वीआईपी सेवा**: ₹45,000-₹50,000 प्रति दिन देकर गाइड की सुविधा मिल सकती है।
10. **तंबू बुकिंग के लिए वेबसाइट**: [https://kumbhcamp.org/](https://kumbhcamp.org/) का उपयोग कर सकते हैं। (इस वेबसाइट का व्यक्तिगत अनुभव नहीं है।)
11. **नजदीकी स्टेशन**: सबसे नजदीकी स्टेशन प्रयागराज संगम है, लेकिन शाही स्नान के एक दिन पहले और दो दिन बाद तक यह बंद रहता है। इसके अलावा झूंसी और प्रयाग जंक्शन (प्रयागराज छिवकी नहीं) पास हैं।
12. **महंगे सामान**: कंबल और खाने-पीने का सामान मेले में मिलता है, लेकिन कीमत दोगुनी होती है।
13. **वाराणसी से रोड यात्रा**: यदि आप वाराणसी की ओर से सड़क मार्ग से आ रहे हैं, तो आपको झूंसी पर रोका जाएगा, जहां से 6 किलोमीटर पैदल चलना होगा। हालांकि, कुछ ऑटो अधिक पैसे लेकर चोरी-छिपे चलते हैं।
14. **ग्रुप के लिए पहचान**: अपने ग्रुप के लिए कोई संकेतक रखें, जैसे एक रंग की टोपी, झंडा, या ऐसी चीज जो दूर से दिख सके।
15. **शाही स्नान का समय**: शाही स्नान (अमृत स्नान) के दिन नागा और साधु बाबा सुबह 5:30 से 7 बजे तक स्नान करना शुरू करते हैं। इसके बाद भीड़ 50 गुना बढ़ जाती है।
16. **पुलिस की मदद लें**: रास्ता भटकने या अन्य समस्याओं के लिए समय-समय पर पुलिस से जानकारी लें। गलत रास्ता लेने पर 1-2 किलोमीटर अतिरिक्त चलना पड़ सकता है।
17. **ठंड का ध्यान रखें**: संगम का पानी और मौसम दोनों बहुत ठंडे होते हैं। इसलिए रात के लिए गर्म कपड़े अवश्य लाएं।
18. **बेहतर समय**: 3 फरवरी से 11 फरवरी के बीच आना सबसे अच्छा रहेगा, क्योंकि इस समय भीड़ कम होगी।
19. **लॉकर और क्लॉक रूम**: लॉकर या क्लॉक रूम की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
20. **झूठी बातों से बचें**: यदि कोई कहे कि वह आपको संगम क्षेत्र तक ड्रॉप करेगा और आपको पैदल नहीं चलना पड़ेगा, तो वह झूठ बोल रहा है। मेले में प्रवेश करने के बाद 3-4 किलोमीटर पैदल चलना अनिवार्य है।
21. **आरामदायक कपड़े और जूते**: ऐसे कपड़े और जूते पहनें, जिनमें आप आराम से ज्यादा चल सकें।
22. **संगम का मुख्य स्थान**: केवल गोल घेरे वाले क्षेत्र में ही स्नान करें। वहीं मुख्य संगम है। बाईं ओर गंगा और दाईं ओर यमुना नदी है।
**नोट**: महाकुंभ में यात्रा करते समय योजना बनाकर और सावधानी बरतकर जाएं। आपकी यात्रा सुखद और मंगलमय हो। होपयात्रा की यही प्रार्थना है आपके लिए।
इस लेख की जानकारी के बावजूद यदि आपको कोई कठिनाई हो और अधिक मार्गदर्शन या सहायता संरक्षण की आवश्यकता हो तो हम आपको जानकारी दे रहे हैं सद्गुरु भगवान स्वामी रामभद्राचार्य जी के पांडाल और महायज्ञ में भाग लेने के साथ रहने खाने की सुव्यवस्था की।
12 जनवरी को सदगुरु भगवान का महाकुम्भ छावनी प्रवेश हुआ था। उनका पंडाल सेक्टर 6 में स्थित है जो प्रयागराज शहर क्षेत्र की तरफ है और दारागंज से मात्र 1 किमी दूर है। यहां हनुमत महायज्ञ हेतु 251 हवनकुंड बने है जिनमें चार चरणों में प्रति सप्ताह के अनुसार नित्य हवनात्मक महायज्ञ होगा। कुंड का स्थान खाली हुआ तो आपको भी इसमें आहुति देने का अवसर मिल सकता है जिसमे यजमान बनकर आप अपनी/परिवार की पर्ची कटाकर भाग ले सकते हैं और महाकुम्भ में महायज्ञ के पुण्य के भागी बन सकते हैं।
इस पंडाल में यज्ञशाला के साथ यजमानों के ठहरने हेतु टेंट सिटी बनी हुई है और खाने के लिए भंडारे की व्यवस्था है जहां निशुल्क भोजन मिलता है। इच्छुक यजमान भक्तगण अग्रिम बुकिंग, मार्गदर्शन और सहायता हेतु ऋषिश्री डॉ वरदानंद जी की टीम से 8828 541 542 अथवा 7303 7303 11 / 55 पर व्हाट्सएप पर सन्देश भेजकर पहले अपना नाम, स्थान, अपनी कुम्भ यात्रा की योजना के बारे में लिखकर भेजिए। फिर यदि आवश्यक हो तो कॉल कीजिये। हम आपकी सहायता का भरपूर प्रयास करेंगे।
पंडाल पहुंचकर भी आप श्री ब्रजेश शुक्ल, पंडित उदय शास्त्रीजी, रमन जी, बाहेती जी या तुलसीपीठ के अन्य सेवकों से सम्पर्क कर सकते हैं। यहां आपको हर प्रकार की सुविधा सहायता की जाएगी। पूज्यपाद सदगुरू भगवान रामभद्राचार्य जी के दर्शन का आशीर्वाद लेना न भूलें। साथ ही युवराज स्वामी रामचन्द्र दास जी से भेंटकर उनके स्नेहाशीष का लाभ लेवें।
अंत मे, महाकुम्भ मेला क्षेत्र का वीडियो जिसे देख कर आप अपनी यात्रा को आसान बना लेंगे और इस लेख का धन्यवाद करेंगे यह वीडियो ख़बरगांव द्वारा महाकुंभ प्रारम्भ होने से पहले ही बना लिया गया था, अत्यंत लाभदायक है, उनका आभार! आपकी यात्रा सुगम और पुण्यदायी हो, यही हमारी शुभेच्छा है।
एक आग्रह : संगम स्नान या डुबकी का अर्थ सिर्फ 3, 5, 7, 11 इत्यादि डुबकी लगाना है, वहां शरीर मलना या कपड़े धोना निचोड़ना पापकर्म है। अतः: संगम में मात्र डुबकी लगाना और जलांजलि देते हुए पितरों, पूर्वजों का आशीर्वाद लेना ही पर्याप्त है। स्नान, मलना, धोना आप स्नानघर में आकर करें, संगम क्षेत्र / गंगा-यमुना नदी में नहीं। एक डुबकी भी आपके कर्मों को शुद्ध कर देगी, डुबकी लगाते समय सात्विकता के भाव भरकर मन में सनातन परम्पराओं को अपनाने, जीवन को अर्थपूर्ण, परोपकारी कर्मों में रत और सत्कर्मों के पुण्य की प्रार्थना कीजिये। 144 वर्षों में एक ही बार महाकुम्भ आता है। इससे पहले महाकुम्भ 1881 में हुआ था। उस दृष्टि से 2025 के इस महाकुम्भ में भाग लेने महाभाग्यशाली होंगे। तो देर किस बात की है! आप कब आ रहे हैं महाकुम्भ??
जय महाकुंभ जय गंगे मैया