नववर्ष नवरात्रि के साथ – 10 नियमों का पालन

सर्वप्रथम,
चैत्र नवरात्रि पर्व में करें इन 10 नियमों का पालन, आप पर प्रसन्न रहेंगी माँ हरसिध्दि
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✍चैत्र नवरात्रि पर्व 30 मार्च 2025 प्रतिपदा को हमारे सनातनी हिन्दू नववर्ष से प्रारंभ हो रहे है, नवरात्रि का पर्वकाल मां दुर्गा देवी जी को प्रसन्न करने और माँ हरसिद्धि देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है ।
यदि आप भी इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का व्रत या पूजन रखना चाहते हैं, तो उसके व्रत, पूजन नियमों के बारे में जानना जरूरी है, नियमपूर्वक व्रत करने और सही विधि से पूजा करने से ही चैत्र नवरात्रि के व्रत सफल होते हैं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। चूंकि चैत्र नवरात्रि का आरंभ 30 मार्च से हो रहा है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ नवरात्रि आरंभ हो जाती है, तो नवमी तिथि को समाप्त होती है।
9 दिनों तक चलने वाली इस नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों यानी कि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
इसके साथ ही पहले दिन घर में घटस्थापना की जाती है। इसके साथ ही साधक पूरे नौ दिनों तक व्रत रखकर मां की आराधना करते हैं। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि को मां दुर्गा के स्वरूप मानकर छोटी कन्याओं की पूजा करने के साथ भोजन कराते हैं। इस साथ चैत्र नवरात्रि 9 दिन न पड़कर 8 दिनों की पड़ने वाली है।
कब से कब तक होगी चैत्र नवरात्रि 2025? (Chaitra Navratri 2025 Date)
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ- 29 मार्च शाम 4 बजकर 27 मिनट से शुरू
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 मार्च दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2025 (Chaitra Navratri Kalash Sthapna Muhurta 2025)
पहला मुहूर्त – 30 मार्च 2025 को सुबह 06:13 मिनट से सुबह 10:22 मिनट तक है
दूसरा अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:01 मिनट से 12:50 मिनट तक
जैसा कि ऊपर बताया और हम सब जानते हैं कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा जी के नौ स्वरुपों की आराधना की जाती है, आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि व्रत के नियमों के बारे में, ताकि आपको व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो और माता रानी की कृपा आपको मिल सके।
चैत्र नवरात्रि पर्वकाल के नियम
✍1:- नवरात्रि के प्रथम दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को कलश स्थापना या घटस्थापना करना चाहिए, कलश स्थापना के साथ हम मां दुर्गा जी का आह्वान करते हैं, ताकि मां दुर्गा जी हमारे घर पधारें और नौ दिनों तक हम उनकी विधि विधान से पूजा करें।
2:- कलश के पास एक पात्र में मिट्टी भरकर उसमें जौ बोना चाहिए, उसे नियमित जल देना चाहिए, जौ की जैसी वृद्धि होगी, उस आधार पर इस साल के जुड़े संकेत आप प्राप्त कर सकते हैं, वैसे भी मान्यता है कि जौ जितना बढ़ता है, उतनी मां दुर्गा जी की कृपा होती है।
3:- यदि आप अपने घर पर मां दुर्गा का ध्वज लगाते हैं, तो उसे चैत्र नवरात्रि में बदल दें।
4:- यदि आप नौ दिन व्रत नहीं रख सकते हैं, तो पहले और अंतिम दिन नवरात्रि व्रत रख सकते हैं।
5:- नवरात्रि के समय में कलश के पास मां दुर्गा जी के लिए अखंड ज्योति जलानी चाहिए, उसकी पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।
6:- नवरात्रि के समय में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, आप नहीं कर सकते हैं, तो किसी वैदिक ब्राह्मण से कराये।*
7:- नवरात्रि में लाल वस्त्र, लाल रंग के आसन का उपयोग करें।
8:- नवरात्रि पूजा के समय माता रानी को लौंग, बताशे का भोग लगाएं, तुलसी और दूर्वा नहीं चढ़ाएं।
9:- नवरात्रि पूजा में नियमित रूप से सुबह और शाम को मां दुर्गा देवी की आरती करें।
10:- मां दुर्गा जी को गुड़हल (जास्मिन) का फूल बहुत प्रिय होता है, संभव हो तो पूजा में उसका ही उपयोग करें, गुड़हल न मिले, तो लाल रंग के फूल का उपयोग करें।
चैत्र नवरात्रि कैलेंडर 2025 (Chaitra Navratri Calendar 2025)
दिन | तिथि | वार | देवी पूजा |
प्रतिपदा | 30 मार्च 2025 | रविवार | मां शैलपुत्री |
द्वितीया | 31 मार्च 2025 | सोमवार | मां ब्रह्मचारिण, मां चंद्रघंटा |
तृतीया | 1 अप्रैल 2025 | मंगलवार | मां कूष्मांडा |
चतुर्थी | 2 अप्रैल 2 | बुधवार | मां स्कंदमाता |
पंचमी | 3 अप्रैल 2025 | गुरुवार | मां कात्यायनी |
षष्ठी | 4 अप्रैल 2025 | शुक्रवार | मां कालरात्रि |
सप्तमी | 5 अप्रैल 2025 | शनिवार | मां महागौरी |
अष्टमी | 6 अप्रैल 2025 | रविवार | मां सिद्धिदात्री, राम नवमी |
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस सप्ताह की स्थिति के हिसाब से कई राजयोगों का निर्माण हो रहा है, जिससे 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव अवश्य देखने को मिलने वाला है।
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