गाय और भैंस में अंतर – भैंस के आगे बीन बजाने का अर्थ?

गाय व भैंस के दूध में अंतर
आजकल परिवारों में अक्सर यह शिकायत रहती है कि बच्चे माँ बाप की नहीं सुनते और माँ बाप बच्चों की नहीं सुनते । कारण यह है कि दोनों ही देसी गाय का दूध घी सेवन नहीं करते। भैंस का दूध पीने वाले भैंस के गुणों अवगुणों वाले ही बन जाते हैं। इसीलिए इस प्रसिद्द कहावत के उदाहरण बने हुए हैं कि
भैंस के आगे बीन बजाना…इस कहावत के पीछे क्या अर्थ छुपा है इसे बहुत कम लोग जानते हैं !! इसके लिए गाय और भैंस में अंतर जानना पड़ेगा।
राह सड़क पर एक गाय और भैंस खड़ी थी। एक कार ने हॉर्न बजाकर रास्ता लेने की कोशिश की। हॉर्न सुनकर गाय रास्ते से हटकर खड़ी हो गयी जबकि भैंस लगातार बार बार हॉर्न बजाने के बावजूद टस से मस नहीं हुई। यह है गाय और भैंस की बुद्धि में अंतर। इसीलिए यह कहावत बनी है।
और क्या क्या अंतर है गाय और भैंस?
भैंस अपने बच्चे से पीठ फेर कर बैठती है चाहे उसके बच्चे को कुत्ते खा जायें वह नहीं बचायेगी, जबकि गाय के बच्चे के पास अनजान आदमी तो क्या शेर भी आ जाये तो जान दे देगी, परन्तु जीते जी बच्चे पर आँच नही आने देगी।
इसीलिए उसके दूध में स्नेह का गुण भरपूर होता है। भैंस को गन्दगी पसन्द है, कीचड़ में लथपथ रहेगी,, पर गाय अपने गोबर पर भी नहीं बैठेगी उसे स्वच्छता प्रिय है।
भैंस को घर से 2 किमी दूर तालाब में छोड़कर आ जाओ वह घर नहीं आ सकती उसकी याददास्त जीरो है। गाय को घर से 5 किमी दूर छोड़ दो। वह घर का रास्ता जानती है,आ जायेगी। गाय के दूध में स्मृति तेज है।
दस भैंसों को बाँधकर 20 फुट दूर से उनके बच्चों को छोड़ दो, एक भी बच्चा अपनी माँ को नहीं पहचान सकता जबकि गौशालाओं में दिन भर गाय व बछड़े अलग-अलग शैड में रखते हैं, सायंकाल जब सबका माता से मिलन होता है तो सभी बच्चे (हजारों की स॔ख्या में) अपनी अपनी माँ को पहचान कर दूध पीते हैं, ये है गाय दूध की याददास्त।
जब भैंस का दूध निकालते हैं तो भैंस सारा दूध दे देती है, परन्तु गाय थोड़ा-सा दूध ऊपर चढ़ा लेती है, और जब उसके बच्चे को छोड़ेंगे तो उस चढ़ाये दूध को उतार देती है। ये गुण माँ के हैं जो भैंस मे नहीं हैं।
गली में बच्चे खेल रहे हों और भैंस भागती आ जाये तो बच्चों पर पैर अवश्य रखेगी… लेकिन गाय आ जाये तो कभी भी बच्चों पर पैर नही रखेगी।
भैंस धूप और गर्मी सहन नहीं कर सकती… जबकि गाय मई जून में भी धूप में बैठ सकती है।
भैंस का दूध तामसिक होता है…. जबकि गाय का सात्विक।
भैंस का दूध आलस्य भरा होता है, उसका बच्चा दिन भर ऐसे पड़ा रहेगा जैसेे भाँग खाकर पड़ा हो। जब दूध निकालने का समय होगा तो मालिक उसे उठायेगा… परन्तु गाय का बछड़ा इतना उछलेगा कि आप रस्सा खोल नहीं पायेंगे।
फिर भी लोग भैंस खरीदने में लाखों रुपए खर्च करते हैं…. जबकि गौमाता का दूध अमृत समान होता है।।
जाग जाइये और आज ही अपने बच्चों और परिवार को भैंस का दूध पिलाना बन्दकर महिषासुर बनाने से बचाइए।
देसी गाय का दूध सर्वोत्तम पेय है, जर्सी होलस्टिम इत्यादि विदेशी नस्लें गायें जैसी दिखती हैं परन्तु गाय नहीं है बल्कि जहर देने वाली नस्ल है।
दूध सम्पूर्ण आहार कहा गया है। दूध पीकर ही हर इंसान धरती पर पैदा हुआ, पला बढ़ा, अब दूध न पीकर नए नए लाइफस्टाइल के जुमले गढ़ रहा है और दूध न पीने के बहाने खोज रहा है।
आज से ही अपने आसपास देशी गाय के दूध की जानकारी लीजिए और देसी गाय का दूध पीना शुरू कीजिए, अनेक स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे। नाड़ी वैद्य ऋषिश्री वरदानंद जी महाराज तो अनेक रोगियों को सिर्फ देसी गाय के दूध से ही रोगों का निदान कर देते हैं और सभी आयु, वर्ग, व्यवसाय के लोगों को नित्य नियमित दूध पीने की सलाह देते हैं। बच्चों के लिए तो यह संजीवनी बूटी है।
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जय गौमाता