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गणेश चतुर्थी : कब, क्यों और कैसे?

क्या आपके घर भी पधारे हैं गणपति बप्पा?

संसार के सबसे बड़े दस दिवसीय त्यौहारों में गणेशोत्सव भी गणपति भगवान की तरह सर्वप्रथम है। इस वर्ध 2024 में 7 सितंबर से प्रारम्भ इस गणेशोत्सव के बारे में सबसे अधिक प्रभावशाली तथ्य की बात यह है कि इतने विशाल पैमाने में आयोजित इस उत्सव में आज तक कोई आतंकवादी आक्रमण विस्फोट या बम ब्लास्ट नहीं हुआ जबकि 1991 से 2014 तक के आतंकवाद काल मे भारत के हर राज्य हर क्षेत्र में बम ब्लास्ट, फिदायीन हमले और दहशतगर्दी खास तौर से भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में होती रही, फिर भी क्या मजाल कि 10 दिन के गणपति महोत्सव में भारत तो क्या, दुनिया के किसी भी कोने में इस दौरान कभी कोई बम विस्फोट या आतंकी हमला नहीं हुआ।

इसका कारण है कि इस अवधि में सर्वत्र सात्विकता और शुद्धि बुद्धि का वातावरण रहता है जिसमें पुलिस प्रशासन सभी लोग बंदोबस्त और गणेश पूजा में लगनपूर्वक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, लोगों का खानपान भी शाकाहारी और सात्विक रहता हैं। इसी से भगवान गणेशजी की कृपा का सर्वत्र साम्राज्य रहता है। ऐसे अद्भुत, मनमोहक और शक्तिशाली त्यौहार के विषय मे सामान्य और कुछ विशिष्ट तथ्यों को इस लेख में शामिल किया गया है। आशा है, सुधि पाठकगण इससे

*2024 में गणेश चतुर्थी और इसका मुहूर्त कब है?*

07 सितंबर को गणपति बप्पा की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 51 मिनट से दोपहर 01 बजकर 21 मिनट तक रहेगा…

7 सितंबर के दिन सुबह 11 बजकर 24 मिनट से दोपहर के 1 बजकर 42 मिनट तक की अवधि में वृश्चिक लग्न लगने वाला है। ऐसे में इस दिन फैक्ट्री और दुकान में गणेश स्थापना करने से धन लाभ के प्रबल योग बनेंगे।

इसके साथ ही, हर प्रकार से उत्तम माना जाने वाला अभिजीत मुहूर्त इस दिन सुबह 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है। इस मुहूर्त में घर, दुकान या फैक्ट्री में गणेश स्थापना का दोगुना लाभ होगा।

7 सितंबर को गणेश चतुर्थी : इस दिन से गणेश उत्सव शुरू हो जाएगा. 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है. अनंत चतुर्दशी तिथि को गणपति विसर्जन कर दिया जाता है.

*गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?*

गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, और भक्त सफलता और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं। गणेश को ज्ञान और बुद्धि का संरक्षक माना जाता है। गणेश चतुर्थी सामाजिक और आर्थिक बाधाओं को पार करते हुए लोगों के बीच एकता और सद्भाव को बढ़ावा देती है।

*गणेश स्थापना घर पर कैसे करें?*

मूर्ति स्थापना के लिए सर्वोत्तम अभ्यास

ज्योतिषीय दृष्टि से भगवान गणेश की मूर्ति को चतुर्थी या चतुर्दशी तिथि पर स्थापित करने की सलाह दी जाती है, आदर्श रूप से सूर्य के नवमांश के दौरान रविवार को, जब चित्रा या ज्येष्ठा नक्षत्र प्रचलित हो। स्थापित करते समय मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में होना चाहिए।

*गणेश चतुर्थी वाले दिन क्या नहीं करना चाहिए?*

गणेश चतुर्थी पर अपने घर में भूलकर भी गणपति की आधी-अधूरी बनी या फिर खंडित मूर्ति की स्थापना या पूजा न करें. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. गणपति जी की पूजा में भूलकर भी तुलसी दल या केतकी के फूल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. मान्यता के अनुसार ऐसा करने पर पूजा का फल नहीं मिलता है.

*गणेश स्थापना में क्या सामग्री लगती है?*

सिन्दूर और फूल-पूजा में नारियल रखने के लिए कलश चाहिए , कपूर, हल्दी, जनेऊ, वस्त्र, चंदन,अक्षत आदि समान भी आपको चाहिए होगा। चौकी : मूर्ति रखने के लिए एक साफ चौकी रखें।

*गणेश चतुर्थी पूजा घर पर कैसे करें?*
गणेश चतुर्थी पर्व के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं और 10 दिनों तक उनकी पूजा आराधना करते हैं.

घर पर इस आसान विधि से करें गणेश पूजन-

1. भक्तों को सबसे पहले स्नान आदि निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
2. भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करने से पहले पूजा घर की अच्छी से सफाई करें।
3. गंगा जल का छिड़काव करने के बाद गणेश जी की मूर्ति विराजित करें।
4. गणपति बप्पा के माथे पर पीले चंदन से तिलक करें।

5. नैवेद्यम (पवित्र भोजन प्रसाद) चढ़ाएँ: नैवेद्यम मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश के सामने मोदक, फल और अन्य मिठाइयाँ रखें, देवता से अपने प्रसाद को स्वीकार करने का अनुरोध करें।
6. आरती अनुष्ठान करें: एक प्लेट पर कपूर जलाएँ और मूर्ति के सामने उसे गोलाकार गति में घुमाएँ।

*गणेश चतुर्थी के दौरान भोजन के नियम*
मोदक और लड्डू चढ़ाएं: मोदक और लड्डू भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई मानी जाती है, और भक्त त्योहार के दौरान विभिन्न प्रकार के लड्डू चढ़ाते हैं. -स्वादिष्ट भोजन: व्रत रखने वालों को हर सुबह भगवान गणेश की पूजा और आरती करने से पहले नमकीन भोजन खाने से बचना चाहिए.

*गणेश चतुर्थी पर चांद क्यों नहीं देखना चाहिए?*

मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र-दर्शन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या दोष या झूठा कलंक लगता है। इस दिन चांद देखने वाले व्यक्ति पर चोरी का झूठा आरोप लगता है।

*हम गणेश चतुर्थी 10 दिन क्यों मनाते हैं?*

भगवान गणेश ने बिना रुके 10 दिनों तक महाभारत लिखी. इस दौरान एक ही स्थान पर लगातार लेखन करने के कारण गणेश जी के शरीर पर धूल और मिट्टी जम गई और 10वें दिन गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके शरीर पर जमी धूल और मिट्टी को साफ किया, तभी से गणेश उत्सव के 10 वें दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है.

*गणेश चतुर्थी की शुरुआत कब हुई?*

यद्यपि गणेश चतुर्थी की उत्पत्ति अज्ञात है, लेकिन वर्ष 1893 में प्रमुख उपनिवेश-विरोधी स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र में सार्वजनिक उत्सव की शुरुआत के बाद यह तेजी से लोकप्रिय हो गया।

*अनंत चतुर्दशी कब है 2024 में?*
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर, 2024 को दोपहर 03 बजकर 10 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 17 सितम्बर 17 को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा। ऐसे में अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 17 सितंबर को मनाई जाएगी।

हिंदू धर्म में गणेश उत्सव के आखिरी दिन यानि अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा के भक्त उनकी बड़े धूम-धाम से विदाई करते हैं ताकि अगले साल उन्हें एक बार फिर उनकी साधना-आराधना करने का सौभाग्य प्राप्त हो सके.

सभी मिलकर प्रेम से स्वागत कीजिये गणेशजी भगवान का, 

बोलिये – गणपति बप्पा मोरया

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